ब्लिट्ज ब्यूरो
जल है तो कल है। यह उक्ति मौजूदा केंद्र सरकार की नीति का ध्येय है। ऐसे में जब भारत अमृत यात्रा की दिशा में विकसित राष्ट्र के संकल्प पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है, तब जीवन की मूलभूत आवश्यकता में जल का महत्व और बढ़ जाता है। अमृतकाल की 2047 तक की यात्रा में वॉटर विजन @2047 महत्वपूर्ण आयाम है। जन-जन की भागीदारी से जल की मांग और पूर्ति ही नहीं बल्कि जल का कुशल उपयोग व संरक्षण भी सहयोग और समन्वय का विषय अब बन गया है।
जल विकास की धारा भी
जल सिर्फ जीवन ही नहीं, विकास की धारा भी है। इसी मंत्र के साथ केंद्र सरकार ने पहली बार ‘वाटर गवर्नेंस’ को अपनी नीतियों और निर्णयों में प्राथमिकता दी और समग्र जल संसाधनों के लिए अलग से जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया। साथ में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, हर खेत को पानी, ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ अभियान, नमामि गंगे मिशन, जल जीवन मिशन और अटल भूजल योजना, ‘कैच द रेन: जहां भी, जब भी संभव हो वर्षा का जल संग्रह करें’ जैसे अनोखे अभियान और नदी जोड़ो परियोजना जैसी पहल से जल को जन-जन से जोड़ा है।
वाटर विजन@2047
इसी कड़ी में केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित पहले अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन में ‘वॉटर विजन@2047’ के विषय पर काफी चर्चा हुई। दरअसल सम्मेलन का उद्देश्य अगले 25 वर्षों यानी 2047 तक भारत के लिए जल के विजन पर विचार-विमर्श करना था। वर्ष 2001 और 2011 में औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता क्रमश: 1816 घन मीटर और 1545 घन मीटर आंकी गई थी। अध्ययन के मुताबिक 1700 घन मीटर से कम की वार्षिक प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता को जल की कमी की स्थिति माना जाता है, जबकि 1 हजार घन मीटर से कम वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता को जल की अत्यधिक कमी की स्थिति माना जाता है।
नीति आयोग की रिपोर्ट
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 2050 में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता 1140 घन मीटर रहने का अनुमान है। 2047 तक देश में पानी की मांग, उपलब्धता से अधिक होने की आशंका है। संविधान के अनुसार जल राज्य का विषय है इसलिए, जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास से ही देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
अमृत काल का अहम आयाम
मोदी सरकार का मानना है कि 2047 के लिए जल का विजन अगले 25 वर्षों के लिए अमृत काल की यात्रा का एक महत्वपूर्ण आयाम है। सरकार ने इस बजट में सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी बल दिया है। जब उपचारित पानी का पुन: उपयोग किया जाता है, तो ताजे पानी का संरक्षण होता है, यह पूरे ईको सिस्टम को लाभ पहुंचाता है। राज्यों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए ‘उपचारित जल’ के उपयोग को बढ़ाने के तरीके खोजने होंगे। नदियां, जल निकाय पूरे जल ईको सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हर राज्य में अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज उपचार का एक नेटवर्क बनाने तथा “नमामि गंगे मिशन को एक खाका बनाकर तमाम राज्यों को अपनी नदियों के संरक्षण के लिए इसी तरह के अभियान शुरू करने की चर्चा हुई है।
अमृत सरोवर के लिए जगह
देश भर में पांच जनवरी तक अमृत सरोवर के लिए 93,112 जगहों की पहचान की गई है। इसमें से 54 हजार से ज्यादा सरोवर का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है जिसमें 26, 929 अमृत सरोवर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है।
प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर का निर्माण या पुनुरुद्धार किया जाना है। प्रत्येक अमृत सरोवर का तालाब क्षेत्र एक एकड़ है और इसकी जल क्षमता 10 हजार क्यूबिक मीटर है।