नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के तीन भाई अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहे लेकिन दुख की बात यह थी कि गलत कारणों से। तीनों भाई 1990 के दशक में यूपी के सहारनपुर से दक्षिण अफ्रीका चले गए थे और गुप्ता बंधुओं ने दक्षिण अफ्रीका में एक समृद्ध कंपनी स्थापित करने में कामयाबी हासिल की। गुप्त बंधुओं ने कंप्यूटर से लेकर हवाई यात्रा, ऊर्जा, खनन, प्रौद्योगिकी और मीडिया तक अपने व्यापार नेटवर्क का विस्तार किया। 2016-17 में उन पर दुर्भावनावश मनगढ़त आरोप लगाए गए।
गुप्ता ब्रदर्स की यात्रा
गुप्ता बंधु- अजय, अतुल और राजेश- 1990 के दशक में दक्षिण अफ्रीका जाने से पहले सहारनपुर के रानी बाजार में एक जर्जर इमारत में रहते थे। उनके पिता, शिव कुमार गुप्ता, ‘गुप्ता एंड कंपनी’ चलाते थे, जो सोपस्टोन पाउडर के वितरण में विशेषज्ञता रखती थी। उन्होंने अपने दिल्ली स्थित व्यवसाय, एसकेजी मार्केटिंग के माध्यम से मेडागास्कर और ज़ांज़ीबार से मसालों का आयात करके भी पैसा कमाया। 1980 के दशक में, शिव कुमार गुप्ता ने अपने बेटों से कहा कि अफ्रीका ‘विश्व का अगला अमेरिका’ बनेगा। इस तरह अतुल गुप्ता, जिन्होंने एपल हार्डवेयर की एसेंबलिंग, रिपेयरिंग और मेंटेनेंस का कोर्स पूरा कर लिया था, व्यापार के अवसरों का पता लगाने के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। अतुल गुप्ता, जो भाइयों में सबसे बड़े थे, दक्षिण अफ्रीका उस समय पहुंचे जब रंगभेद की समाप्ति के बाद देश दुनिया के लिए खुल रहा था। लालफीताशाही बिल्कुल नहीं थी। अजय और राजेश जल्द ही अपने बड़े भाई के नक्शेकदम पर चले। अतुल गुप्ता ने 1993 में सहारा कंप्यूटर्स की स्थापना की। 2016 में सहारा का सालाना कारोबार लगभग 22 मिलियन डॉलर था और इसमें 10,000 लोग कार्यरत थे।