ब्लिट्ज ब्यूरो
बठिंडा/ललितपुर, नेपाल। पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी नेपाल के प्रतिष्ठित त्रिभुवन विश्वविद्यालय (टीयू) के 48वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। उन्होंने छात्रों को नेपाल को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। अनेक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा ने की। नेपाल के ललितपुर में स्थित टीयू पुलचौक परिसर में आयोजित त्रिभुवन विश्वविद्यालय के 48वें दीक्षांत समारोह में 20,000 से अधिक छात्रों, अभिभावकों, स्टाफ सदस्यों व आम नागरिकों ने भाग लिया।
- पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति तिवारी ने नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय के 48वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
- कहा, भारत को जी20 की अध्यक्षता मिलना सुनहरा अवसर
- ज्वलंत मुद्दे हल करने को दोनों देश मिल कर कार्य करें
प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने नेपाल के प्रधानमंत्री एवं टीयू के कुलाधिपति शेर बहादुर देउवा; शिक्षा, विज्ञान तथा प्रविधि मंत्रालय, नेपाल के मंत्री एवं टीयू के प्रो-चांसलर देवेन्द्र पौडेल और त्रिभुवन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. धर्मकान्त वास्कोटा की उपस्थिति में दीक्षांत समारोह में अभिभाषण दिया।
प्रो. तिवारी ने स्नातक होने वाले छात्रों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन भारतीय सभ्यता और वैदिक शास्त्रों ने हमेशा ‘सत्यमेव जयते नानृतम ्’ और ‘सत्यम ् शिवम ् सुंदरम ्’ का संदेश दिया है। इसलिए नेपाल में युवाओं को हमारी सनातनी मानसिकता को पुनर्जीवित करना होगा और नेपाल के सर्वांगीण विकास के लिए कर्म योगी के रूप में कार्य करना होगा।
प्रो. तिवारी ने रेखांकित किया कि 21वीं सदी की शिक्षा हमारी प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर केंद्रित होनी चाहिए। उन्होंने संस्कृत को बढ़ावा देने में नेपाल के प्रयासों की सराहना की।
प्रो. तिवारी ने कहा कि भारत में ज्ञान प्राप्त करने वाले गौतम बुद्ध और जनकनंदिनी सीता का जन्म स्थान नेपाल देश में ही माना जाता है। नेपाली बाबा विश्वनाथ को उसी तरह पूजते हैं जैसे वे भगवान पशुपतिनाथ को। उन्होंने कहा कि जैसे जनकपुर के बिना अयोध्या अधूरी है और लुम्बिनी के बिना बोधगया अधूरा है, वैसे ही नेपाल और भारत एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत को जी20 अध्यक्षता मिलने के सुनहरे अवसर पर नेपाल और भारत को हमारे साझा वैश्विक दृष्टिकोण और प्राचीन मूल्यों के माध्यम से दुनिया के ज्वलंत मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर कार्य करना होगा।