ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। क्या अंतरिम बजट में इनकम टैक्स रिबेट को बढ़ाया गया है? इस सवाल का जवाब है या नहीं! 2023-24 के लिए आयकर छूट की जाे सीमा थी, वह 2024-25 के लिए भी रहेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेक्शन 87ए के तहत टैक्स रिबेट में बढ़ोतरी का कोई एलान नहीं किया है।
टैक्स रिबेट एक तरह की छूट है जो सरकार टैक्सपेयर्स को देती है। इससे टैक्स देनदारी घटाने में मदद मिलती है। टैक्स रिबेट और टैक्स छूट में फर्क होता है। टैक्स छूट में आपको टैक्स नहीं देना होता है जबकि टैक्स रिबेट में आपको टैक्स देना होता है, लेकिन सरकार आपको कुछ राशि वापस कर देती है। यह रिबेट उन टैक्सपेयर्स को दी जाती है जो कुछ खास बचत स्कीमों में निवेश करते हैं।
किस तरह से मिलता है फायदा?
वर्तमान में आयकर कानून की धारा 87ए लोगों को पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत 12,500 रुपये क्लेम करने की इजाजत है। इसी तरह नई टैक्स व्यवस्था के तहत 25,000 रुपये टैक्स रिबेट में क्लेम किया जा सकता है। पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनने वाले लोगों को तब तक कोई टैक्स नहीं देना है जब तक उनकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है। इसी तरह अगर कोई नई टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुनता है तो 7 लाख रुपये तक की टैक्सेबल इनकम पर शून्य टैक्स देनदारी होगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि सेक्शन 87ए के तहत डिडक्शन देय टैक्स से होता है, न कि व्यक्ति की इनकम से।
टैक्स रिबेट क्लेम करने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को एक फॉर्म भर कर देना होता है। इस फॉर्म में अपनी आय, निवेश और अन्य जानकारी का ब्योरा देना पड़ता है।
टैक्स रिबेट एक निश्चित रकम होती है जिसे सरकार तय करती है। टैक्स रिबेट का फायदा यह है कि इससे टैक्स देनदारी को कम करने में मदद मिली है। यह करदाताओं को बचत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इससे दिव्यांगों को आर्थिक सहायता मिलती है। सेक्शन 87ए के तहत रिबेट पाने के लिए एलिजिबिलिटी के कुछ मानदंड हैं। मसलन, आपकी आय 5 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। इसके लिए भारत का निवासी होना जरूरी है। आपको कोई अन्य छूट या कटौती नहीं मिल रही हो।