संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। अनियमित मानसून के बावजूद देश की आर्थिक विकास गति बरकरार है और अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों में अपनी रफ्तार बनाए रखी है। वित्त मंत्रालय ने जुलाई की मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा, विनिर्माण व सेवा क्षेत्र में वृद्धि दिख रही है, जिसकी वजह मांग बढ़ना, नए निर्यात ऑर्डर में तेजी और उत्पादन कीमतों में बढ़ोतरी है। इन संकेतकों को देखते हुए 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5-7.0 फीसदी की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान उचित जान पड़ता है।
रबी फसल के उत्पादन के लिए अच्छा संकेत
रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी से खुदरा महंगाई जुलाई, 2024 में घटकर 3.5 फीसदी रह गई, जो सितंबर, 2019 के बाद सबसे कम है। दक्षिण-पश्चिम मानसून में स्थिर प्रगति ने खरीफ की बुवाई का समर्थन किया है। जलाशयों में जलस्तर का फिर से बढ़ना मौजूदा खरीफ और आगामी रबी फसल के उत्पादन के लिए अच्छा संकेत है। इससे आगामी महीनों में खाद्य महंगाई घटाने में मदद मिलेगी।
– वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट, महंगाई से मिलेगी राहत
– 7 प्रतिशत तक रह सकती है जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर
राजकोषीय घाटे में कमी की उम्मीद
राजकोषीय मोर्चे पर रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के बजट ने राजकोषीय मजबूती का मार्ग प्रशस्त किया है। मजबूत राजस्व संग्रह, राजस्व खर्च में अनुशासन और मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के समर्थन से राजकोषीय घाटे में कमी आने का अनुमान है। पूंजीगत खर्च को उच्च स्तर पर बनाए रखा गया है, जिससे नए निजी निवेश चक्र को समर्थन मिल रहा है।
निर्यात पिछले साल से बेहतर
वस्तुओं व सेवाओं दोनों का निर्यात पिछले साल से बेहतर रहा है। शेयर बाजार स्तर पर बना हुआ है। सकल प्रवाह बढ़ने के कारण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ रहा है।
कर संग्रह में वृद्धि
कर संग्रह व खासकर अप्रत्यक्ष कर (जो लेनदेन को दर्शाते हैं) अच्छी तरह बढ़ रहे हैं। बैंक कर्ज भी बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में जीएसटी संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह कर आधार के विस्तार और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के दम पर मुमकिन हुआ।
मौजूदा स्थिति में रेपो दर में कटौती संभव नहीं : दास
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि 6.5 फीसदी की मौजूदा रेपो दर मोटे तौर पर संतुलित है और इस मोड़ पर इसमें कटौती का कोई भी औचित्य भ्रामक हो सकता है। केंद्रीय बैंक ने इस माह की शुरुआत कर संग्रह व खासकर अप्रत्यक्ष कर (जो लेनदेन को दर्शाते हैं) अच्छी तरह बढ़ रहे हैं। बैंक कर्ज भी बढ़ रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में जीएसटी संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लगातार नौवीं बार रेपो दर को अपरिवर्तित रखने की घोषणा की गई थी। हालांकि, एमपीसी के दो सदस्यों आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा ने रेपो दर घटाने की वकालत की थी।
एमपीसी बैठक के ब्योरे के मुताबिक, मई, 2022 से रेपो दर में 2.50 फीसदी की वृद्धि और उसके बाद समायोजन वापस लेने के रुख में बदलाव ने 2022-23 में धीरे-धीरे महंगाई को कम करने में मदद की है।
नीति में ढील नहीं दी जा सकती
दास ने कहा, वास्तविक दुनिया में नीति निर्माण एक अमूर्त, सैद्धांतिक और मॉडल विशिष्ट निर्माण पर आधारित नहीं हो सकता है। इसलिए, उच्च वास्तविक दरों के आधार पर नीति में ढील नहीं दी जा सकती। हालांकि, महंगाई धीरे-धीरे कम हो रही है लेकिन यह चार फीसदी के लक्ष्य से दूर है।