नई दिल्ली। भारतीय फार्मा कंपनियों का अमेरिकी बाजार में दबदबा बढ़ रहा है। किफायती दामों वाली भारतीय जेनरिक दवा कंपनियों का अमेरिका में निवेश बढ़कर 82 हजार करोड़ रुपये हो गया है। हाल ही में अमेरिका की दवा नियामक फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने पहली बार ग्रेन्युल्स कंपनी को मेड इन इंडिया टैग के साथ दवा निर्यात को मंजूरी प्रदान की है।
ग्रेन्युल्स कंपनी ने वर्जीनिया में पैकेजिंग फेसिलिटीज भी बना ली है। अमेरिका के एसोसिएशन फॉर एक्सेसेबल मेडिसिन के मुताबिक जेनरिक दवाओं के इस्तेमाल के कारण हेल्थकेयर सिस्टम को 2019 के दौरान करोड़ों रुपये की बचत भी हुई। भारतीय फार्मा कंपनियों की प्रतिष्ठा अमेरिका और यूरोप की कंपनियों से किफायती दामों वाली दवा के निर्माता के रूप में है। साथ ही भारतीय कंपनियों की दवाओं की क्वालिटी भी अच्छी होती है।
ब्रांडेड दवा नहीं खरीद पाने वाले अमेरिकियों को भारतीय कंपनियों की जेनेरिक दवाएं ज्यादा बेहतर लगती हैं। अमेरिका में हेल्थकेयर की लागत बहुत अधिक बैठती है।