ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को बड़ा झटका लगा है। पहले तो उनकी विधायकी रद्द हुई और अब उनका वोट देने का अधिकार भी खत्म कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने आजम खान का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया है जिसके चलते वह अब रामपुर सदर विधानसभा उपचुनाव में वोट भी नहीं डाल पाएंगे। आजम खान का वोट का अधिकार छीनने के लिए चुनाव आयोग को रामपुर सदर सीट के उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने पत्र लिखा था।
आजम खान का वोट देने का अधिकार को खत्म करने का निर्णय चुनाव आयोग के लोक प्रतिनिधि कानून की धारा 16 के तहत किया गया है। आजम खान से वोट देने के अधिकार को लेने से पहले 27 अक्टूबर को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच के मामले उन्हें 3 साल की सजा सुनाई गई थी। इस सुनवाई के बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। वहीं अब वोट देने का अधिकार भी खत्म कर दिया गया है।
इस कानून के तहत छीना गया अधिकार : कानून के मुताबिक अगर कोई विधायक या सांसद या विधान परिषद का सदस्य किसी मामले में दोषी पाया जाता है और वह दोष उसपर साबित हो जाता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाती है। इसके साथ ही उसके 6 वर्षों तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है। आजम खान को जिस धारा के तहत वोट देने के अधिकार खत्म किया गया है वो चुनाव आयोग के लोक प्रतिनिधि कानून की धारा 16 है। जिसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार या अपराध से जुड़ा हुआ है तो उसका वोट देने का अधिकार छीना जा सकता है। इस अधिनियम के मुताबिक अगर वो दोषी कोई सांसद या विधायक होता है तो उसकी सदस्यता रद्द होती है। साथ ही वोटर लिस्ट से नाम भी काट दिया जाता है।
6 वर्षों तक नहीं लड़ सकते चुनाव : किसी व्यक्ति या सांसद या विधायक या विधान परिषद के सदस्य से वोट देने का अधिकार तब छीना जाता है जब उसे आईपीसी की धारा 171ई या 171एफ या फिर लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 या 135 का दोषी ठहराया जाता है। तब उसका वोट देने का अधिकार खत्म कर दिया जाता है। इसके साथ ही उस पर 6 वर्षों तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी जाती है।
ये है पूरा मामला : 2019 में आजम खान ने एक रैली के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए भड़काऊ बयान दिया था। इस मामले में सपा नेता के खिलाफ रामपुर में केस दर्ज किया गया था। इस मामले में 27 अक्टूबर को रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में हेट स्पीच के मामले में दोषी मानते हुए 3 साल जेल और 2 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए सजा सुनाई गई थी। हेट स्पीच मामले में आजम खान को आईपीसी 153ए (दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और आईपीसी 505 (1) (सार्वजनिक व्यवस्था बिगाड़ने वाला बयान देना) और लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 125 के तहत दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई थी।