ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत रेलवे की जमीन से हो चुकी है। माटुंगा के रेलवे क्वॉर्टर्स में रहने वाले 255 परिवार को जल्द ही घर खाली करने का नोटिस दिया गया है।
गौरतलब है कि अडाणी ग्रुप द्वारा रीडेवलपमेंट का काम किया जाएगा। 26 मार्च को प्रोजेक्ट की स्थिति देखने के लिए रेलवे बोर्ड मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर अनिल कुमार खंडेलवाल ने मौके का दौरा किया। खंडेलवाल रेलवे लैंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन भी हैं। रेलवे की ओर से अथॉरिटी ही इस प्रोजेक्ट से लिए कॉर्डिनेशन कर रही है।
यूनियन ने जताई आपत्ति
रेलवे कर्मचारियों को क्वार्टर ख़ाली कराने का नोटिस मिलने के बाद अब यूनियन ने नाराज़गी जताते हुए संबंधित रेलवे अधिकारियों और प्रशासन को पत्र लिखा है। पत्र में त्वरित नोटिस देकर क्वार्टर ख़ाली कराने का विरोध किया गया है। पत्र में प्रोजेक्ट के लिए जो रेलवे क्वार्टर्स के पास अस्थाई कार्यालय बनाकर सुरक्षाकर्मी को बिठाने का भी विरोध किया गया है। यूनियन ने मांग की है कि प्रोजेक्ट में जो नई इमारतें बनाई जाएंगी, वहीं रेलवे के परिवारों को भी क्वार्टर दिए जाएं। नेशनल रेलवे मज़दूर यूनियन ने लिखा है कि इस मामले में 2019 में ही रेलवे अथॉरिटी के सामने 255 परिवारों की बात रखी गई थी। उस दौरान यूनियन को आश्वासन दिया गया था कि रेल कर्मचारियों के लिए मौजूदा कॉलोनी में ही नई इमारत की व्यवस्था की जाएगी। जब सभी परिवारों के लिए व्यवस्था होगी, तब ही रेलवे की ज़मीन राज्य सरकार को हस्तांतरित की जाएगी।
रेलवे की जमीन प्रोजेक्ट में शामिल
धारावी रीडेवलपमेंट प्रॉजेक्ट के तहत दादर, माहिम और माटुंगा रोड में रेलवे की जमीन को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था। इसमें माटुंगा रोड रेलवे कॉलोनी की पूरी जमीन भी हस्तांतरित होनी है। इसी जमीन पर अभी रेलवे के 255 परिवार रहते हैं। ये जमीन करीब 19 एकड़ की है, जिसमें से 12 एकड़ जहां रेलवे कर्मचारी नहीं रहते हैं, वो पहले ही हस्तांतरित कर दी गई थी। रेलवे बोर्ड द्वारा इस प्रोजेक्ट को लेकर बैठक की गई। इसमें रेलवे क्वार्टर खाली कराने और रेलवे की करीब 47.5 एकड़ जमीन को प्रोजेक्ट अथॉरिटी को हस्तांतरित करने पर फैसला लिया गया। सूत्रों का कहना है कि रेल कर्मचारियों को शिफ्ट करने के लिए मना लिया गया था। इन स्टाफ को मुंबई में ही अन्य क्वार्टरों में शिफ्ट करने की सहमति बनी थी।
क्यों हो रहा है यूनियन का विरोध?
यूनियनों का कहना है कि रेलवे की जमीन हस्तांतरित करने के लिए जो पूर्व में शर्तें रखी गईं थीं, उनका पालन नहीं किया जा रहा है।