ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अफस्पा हटने से कश्मीर के आम लोगों के लिए क्या बदल जाएगा, सेना की ताकत में क्या बदलाव आएगा, यह भी एक विचारणीय प्रश्न है? इसे ऐसे समझा जा सकता है…
1: क्यों हो रहा था अफस्पा का विरोध?
जम्मू-कश्मीर में अफस्पा का दशकों से विरोध किया जा रहा है। दरअसल, राजनीतिक दलों और आम लोगों की कई सालों से मांग थी कि जम्मू-कश्मीर में सेना को जो विशेष अधिकार हैं, उसे हटाना चाहिए। कई बार देखा गया कि इसका दुरुपयोग भी हुआ है। फर्जी एनकाउंटर हुए। हाल ही में राजौरी में कस्टडी में चार युवाओं की मौत ने माहौल गरमा दिया था।
2: सरकार क्यों हटा रही है अफस्पा?
केंद्र में जो सरकारें होती थीं, उनका कथन होता था कि जम्मू-कश्मीर में उस तरह के हालात नहीं हैं कि सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को हटाया जा सके या फिर सेना को कम किया जाए। लेकिन अब चूंकि 2019 से पिछले पांच साल में जम्मू-कश्मीर के हालात में बहुत सुधार हुआ है। इसके आंकड़े संसद में भी पेश किए गए और ग्राउंड पर भी असर देखने को मिल रहा है। गृह मंत्री अमित शाह कहते हैं कि हम जम्मू-कश्मीर पुलिस में गुणात्मक बदलाव लाए हैं। वह अब सभी ऑपरेशन में सबसे आगे है। पहले सेना और केंद्रीय बल ही नेतृत्व कर रहे थे। चुनाव के बाद हम निश्चित रूप से कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप देंगे। जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के साथ जल्द ही वहां सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) की समीक्षा पर विचार करेंगे।
3: क्या आतंकवादियों का मूवमेंट हुआ है कम?
केंद्र सरकार मानती है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का मूवमेंट कम हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि आतंकवाद में 80 फीसदी कमी आई है। पत्थरबाजी की घटनाएं पूरी तरह खत्म हुई हैं। बंद, प्रदर्शन और हड़तालें अब नजर नहीं आतीं हैं। गृहमंत्री ने कहा, 2010 में पथराव की 2564 घटनाएं हुई थीं जो अब शून्य हैं। लोगों एवं सुरक्षा बलों की मौतों की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी आई है।
4: सरकारी योजनाओं से कितनी मिली राहत?
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था। उसके बाद राज्य को लेकर जो रणनीति बनाई गई, उसमें सफलता मिली है। घाटी में हालात बदले हैं और शांति देखने को मिल रही है। युवाओं में एजुकेशन से लेकर जॉब का क्रेज बढ़ा है। प्रधानमंत्री मोदी का जम्मू-कश्मीर को लेकर एक वृहद प्लान है। उन्होंने श्रीनगर की रैली में इसका विवरण भी दिया था।
5: सरकार का अफस्पा हटाने का क्या प्लान है?
देश में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ये 30 सितंबर से पहले संपन्न करवाने की तैयारी है। उसके बाद अफस्पा को हटाकर धीरे-धीरे सेना की तैनाती कम की जाएगी क्योंकि जम्मू-कश्मीर पुलिस को पिछले 20 साल में काफी विकसित किया गया है व प्रशिक्षित किया गया है। इसे सबसे बेहतरीन पुलिस बलों में स्थान हासिल है। यह अब जम्मू-कश्मीर के हालात अपने बलबूते पर संभाल सकती है और सेना या अधिक सुरक्षा बलों की जरूरत भी कम करने में सक्षम साबित होगी।
6: समझें अफस्पा?
अफस्पा को अशांत इलाकों में लागू किया जाता है। 1989 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया। अब ये अशांत क्षेत्र कौन होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है। अफस्पा केवल अशांत क्षेत्रों में ही लागू किया जाता है।
7: अफस्पा सेना को क्या विशेष अधिकार देता है?
सुरक्षाबल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं। कानून का उल्लंघन करने वाले को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग और उस पर गोली चलाने की भी अनुमति होती है। इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को किसी के भी घर या परिसर की तलाशी लेने का अधिकार होता है। इसके लिए सुरक्षाबल जरूरत पड़ने पर बल का प्रयोग भी कर सकते हैं। अगर सुरक्षाबलों को ऐसा अंदेशा होता है कि उग्रवादी या उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे हैं तो उसे तबाह किया जा सकता है।
इसके अलावा वाहनों को रोककर उनकी तलाशी भी ली जा सकती है। बड़ी बात ये है कि जब तक केंद्र सरकार मंजूरी न दे, तब तक सुरक्षाबलों के खिलाफ कोई मुकदमा या कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। जब जम्मू-कश्मीर से अफस्पा हटेगा तब सेना के विशेष अधिकार समाप्त हो जाएंगे।
8: पीओके को लेकर सरकार का क्या है रुख?
पीओके यानि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने अलग-अलग मंचों के अलावा संसद में भी बयान दिया है। शाह का कहना है कि पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है। उसे अपने वक्त पर वापस लिया जाएगा। इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया है। जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था तब भी गृह मंत्री ने संसद में पीओके को लेकर बयान दिया था। अब तक यूएन समेत अन्य देशों में ये बात उठती थी कि जम्मू-कश्मीर में सेना की तादाद बहुत ज्यादा है। आर्म्स फोर्स एक्ट हटने के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पीओके को लेकर एक विशेष संदेश जाएगा।