ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। आगामी सितंबर माह में भारत जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। इसे लेकर राजधानी दिल्ली को खूबसूरत बनाया जा रहा है। सभी चौराहों को सुंदर पौधों से सजाया जा रहा है।
कहीं फूलों से जी-20 सदस्य देशों के पशु-पक्षियों की आकृति बनाई जा रही तो कहीं कबाड़ से। मैदान गढ़ी गांव स्थित ललित कला अकादमी में कबाड़ के रूप में बचे लोहे, घर के बर्तनों, सिलेंडर, प्लास्टिक और बाइक व साइकिल के पुर्जों से पशु-पक्षियों की आकृति तैयार की गई है। दिल्ली विकास प्राधिकरण के एक अधिकारी ने बताया कि भारत के अलग-अलग राज्यों से आए शिल्पकारों द्वारा बनाई गई ये आकृतियां चाणक्यपुरी के मैत्री पार्क में सजावट के तौर पर लगाई जाएंगी।
बिहार के भागलपुर से आई सुकन्या ने 400 से 500 किलो लोहे के कबाड़ का इस्तेमाल करके पेड़ और उस पर बैठी हुई सात गौरैयों को बनाया है। सुकन्या ने बताया कि यह आकृति एक कहानी पर आधारित है। जिस तरह से गौरैया हमेशा समूह में रहती है, उसी तरह यहां बनाए गए पेड़ पर सात गौरैया हैं जो आपस में बात कर रही हैं। इसलिए मैंने इसका टाइटल ‘गपशप’ दिया है।
यह बिहार का भी राजकीय पक्षी है। इसको बनाने के लिए हमें 15 दिन दिए गए थे लेकिन मैंने इसे दस दिन में ही तैयार कर दिया। ललित कला अकादमी में कुवैत का राष्ट्रीय पशु बनकर तैयार हुआ है। इसे बाइक और साइकिल के पुर्जों से तैयार किया गया है। शांति निकेतन के गोपाल ने बताया कि यह ऊंट करीब 12 फीट ऊंचा है और इसे बनाने में 200 क्विंटल लोहा लगा है। उन्होंने बताया कि मैंने इसे आठ दिनों में तैयार कर दिया है।