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अश्लील सामग्रियों में बच्चों का इस्तेमाल गंभीर विषय

- सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल

by Blitzindiamedia
April 25, 2024
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Use of children in pornographic materials is a serious matter
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हो सकता है कि किसी बच्चे का अश्लील सामग्री देखना अपराध न हो, लेकिन अश्लील सामग्रियों में बच्चों का इस्तेमाल किया जाना “गंभीर” चिंता का विषय है और यह अपराध हो सकता है।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले गैर सरकारी संगठनों- ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन अलायंस ऑफ फरीदाबाद और नई दिल्ली स्थित बचपन बचाओ आंदोलन- की अपील पर फैसला सुरक्षित रखते हुए ये टिप्पणियां कीं। ये संगठन बच्चों के कल्याण के लिए काम करते हैं।

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मद्रास हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि केवल बाल अश्लील सामग्री डाउनलोड करना और देखना बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम तथा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून के तहत अपराध नहीं है।

हाई कोर्ट ने 11 जनवरी को 28-वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद भी कर दी थी, जिस पर अपने मोबाइल फोन पर बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री डाउनलोड करने का आरोप लगाया गया था। दो संगठनों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एच एस फुल्का ने हाई कोर्ट के फैसले से असहमति जताई और पॉक्सो अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों का हवाला दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने कहा कि अगर किसी को इनबॉक्स में ऐसी सामग्री मिलती है तो संबंधित कानून के तहत जांच से बचने के लिए उसे हटा देना होगा या नष्ट कर देना होगा। उसने कहा कि अगर कोई बाल अश्लील सामग्री को नष्ट न करके सूचना प्रौद्योगिकी प्रावधानों का उल्लंघन करना जारी रखता है तो यह एक अपराध है। पीठ अश्लील सामग्री डाउनलोड करने के आरोपी की ओर से पेश वकील की दलीलों का जवाब दे रही थी। कथित क्लिप 14 जून, 2019 को उसके पास आई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
उच्च न्यायालय ने आरोपी को बरी कर दिया था और आरोपी के वकील ने कहा कि सामग्री उसके व्हाट्सएप पर स्वचालित रूप से डाउनलोड हो गई थी। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकार निकाय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को मामले में हस्तक्षेप करने और 22 अप्रैल तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने की अनुमति दी। सीजेआई ने कहा, ‘बहस पूरी हो गई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को ‘भयावह’ करार दिया था जिसमें कहा गया है कि बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री (चाइल्ड पोर्नोग्राफी) को केवल डाउनलोड करना और उसे देखना पॉक्सो अधिनियम और आईटी कानून के तहत अपराध नहीं है।

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