न्यूयॉर्क। भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की मांग कर रहा है। अब एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद विकृत और अनैतिक है और यह अभी भी उपनिवेशवाद की सोच से चल रही है। बदले भू-राजनैतिक परिदृश्य में यह नई ताकतों के उभार को प्रतिबिंबित नहीं करती। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों और नीति विशेषज्ञों से इसमें तुरंत सुधार करने की मांग की है।
मौजूदा संरचना हकीकतों से परे
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर राउंडटेबल चर्चा का आयोजन किया गया। चर्चा में भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, सेंट विंसेंट और ग्रेनाडा के डिप्लोमैट शामिल हुए। इसमें रुचिरा कंबोज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मौजूदा संरचना आज की बहु-ध्रुवीय और आपस में जुड़ी हुई दुनिया की हकीकतों से परे है।
सुधारों की मांग
कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद का गठन एक अलग युग में हुआ था। आज जब भूराजनैतिक परिदृश्य बदल रहा है तो देश ज्यादा समान और निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था चाहते हैं। आज अभूतपूर्व वैश्विक चुनौतियां दुनिया के सामने हैं, ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की जरूरत है। जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, आपदा और मानवीय संकट के चलते एकजुट होकर जिम्मेदारी से कदम उठाने की जरूरत है। कंबोज ने सभी देशों से अपील की कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए प्रयास करें।
कुछ देश कर रहे दुनिया का प्रबंधन
भारत के शीर्ष थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन ने कहा कि इस बात का समर्थन नहीं किया जा सकता कि आज की बहु ध्रुवीय दुनिया में पिछली सदी के युद्ध में जीते कुछ देश आज भी दुनिया का प्रबंधन करें। उन्होंने कहा कि युद्ध इतिहास की बात है और उसी तरह कुछ देशों का प्रभाव और क्षमताएं भी बीते दिनों की बात हो चुकी है। सरन ने कहा कि युद्ध का बोझ उपनिवेशी देशों ने झेला और उसका फायदा उपनिवेश बनाने वाले देशों को मिला।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य देश अमेरिका, फ्रांस, चीन, रूस और ब्रिटेन हैं। 15 देशों की परिषद में अन्य देश अस्थायी सदस्य होते हैं और वे बदलते रहते हैं।