ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ‘भगवान हमारी रक्षा करना…’ अस्पताल में एडमिट हों या किसी भी संकट में हों, ईश्वर को मानने वाले लोग अपने और अपने परिवार की रक्षा के लिए भगवान के सामने ही हाथ जोड़ते हैं। प्राचीन आस्था व मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतार अलग-अलग रूप में समय समय पर इंसान की रक्षा करते रहे हैं। आम लोगों की इसी आस्था को इलाज के तरीके में अपना कर एम्स ने लोगों का इलाज करना शुरू किया है, ताकि इलाज के लिए आने वाले लोगों को हेल्थ सिक्योरिटी मिल सके। उन्हें उनकी आस्था व कल्चर के साथ मॉडर्न तरीके से इलाज देने के लिए विष्णु के 10 अवतार के अनुसार प्रोटोकॉल तैयार किया है।
एम्स के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी सेंटर को हाल ही में नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) का सर्टिफिकेशन मिला है। यह एम्स का पहला सेंटर है जिसे यह सर्टिफिकेट मिला है।
10 अवतार और उसके सार के अनुसार प्रोटोकॉल
सर्जरी से पहले और बाद में चेक लिस्ट अपनाना
इंफेक्शन कंट्रोल और सेफ मेडिकेशन प्रोटोकॉल
हर महीने ऑडिट करना और चिंता करने के बजाए हल निकालना, नियम व सुविधाओं की स्थिरता हमेशा लाभप्रद रहती है।
मास कैजुअल्टी और डिजास्टर के लिए 15 बेड्स रिजर्व स्टेट ऑफ आर्ट बर्न इमरजेंसी की सुविधा
मरीज के लिए सेफ एनवायरमेंट उपलब्ध कराना, सही समय पर सही फैसला लेना, मरीजों के परिजनों को भरोसा दिलाना।
आयुष्मान भारत जैसी स्कीम लागू करना, सस्ता और बेहतर इलाज देना, टीम वर्क और कल्चर व मानवता के साथ काम करने को बढ़ावा देना।
मरीजों के 17 प्रकार के अधिकार हैं, जिन्हें बनाए रखना है। डिजिटल रिकॉर्ड व डॉक्यूमेंट्स, ब्लड प्रोडक्ट्स का सही इस्तेमाल करना।
100 पर्सेंट एथिकल तरीके से काम करना, ट्रीटमेंट व रिसर्च को अपनाए रखना, सही क्लिनिक प्रैक्टिस करते रहना, स्टाफ को जागरूक रखना।
सभी मरीजों के प्रति करुणा का भाव रखना, एसिड बर्न जैसे मरीजों के सेवा में कोई कमी नहीं रखना, कोई भेदभाव नहीं रखना।
हर महीने स्टाफ की ट्रेनिंग, अपने ज्ञान अर्जित करने के तरीके अपनाना, क्वालिटी को बेहतर करने के लिए रेगुलर बेसिस पर फीडबैक लेना।
इलाज से संबंधित सूचना का डिस्प्ले करना, इलाज व खर्च बताना, एडमिशन में ट्रांसपेरेंसी, 100 पर्सेंट साइबर सेफ्टी सुनिश्चित रखना।