सिंधु झा
भारत सरकार 32,000 करोड़ रुपये के 31 सशस्त्र ड्रोनों की खरीद के लिए अमेरिकी प्रीडेटर- एमक्यू 9 बी सौदे में तेजी लाने का पुरजोर प्रयास कर रही है। इस बाबत भारतीय नौसेना इस पहल का नेतृत्व कर रही है। अनुरोध पत्र अमेरिकी रक्षा विभाग और जनरल एटॉमिक्स, दोनों निर्माताओं को भेज दिए गए हैं। ऐसी उम्मीदें हैं कि व्यावसायिक बातचीत के बाद इस सौदे को अगले साल फरवरी तक अमली जामा पहना दिया जायेगा। भले ही यह साल के अंत तक पूरा न हो लेकिन हस्ताक्षर करने के बाद ड्रोन की डिलीवरी 2026 में शुरू हो जाएगी।
आठ प्रीडेटर्स को सरसावा में तैनात किया जाएगा, जिनमें से प्रत्येक को सेना और वायु सेना को आवंटित किया जाएगा। सरसावा उत्तर प्रदेश में हरियाणा के नजदीक स्थित है। इसके अतिरिक्त, एक समान पूरक उत्तर प्रदेश में स्थित गोरखपुर में भी स्थित होगा। जबकि नौसेना के सी गार्जियन प्रीडेटर्स को तमिलनाडु में तैनात किए जाने की उम्मीद है।
31 ड्रोनों में से, नौसेना को 15 देनेे की तैयारी है, जबकि सेना और वायु सेना प्रत्येक को 8 इकाइयां आवंटित की जाएंगी। नौसेना वर्तमान में पट्टे पर 2 ड्रोन संचालित करती है, लेकिन प्रीडेटर-बी का नौसैनिक संस्करण सेना और वायु सेना के लिए नामित ड्रोन से थोड़ा अलग है। भारत की उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व और दक्षिण भारत में तीन त्रि-सेवा आईएसआर कमांड और नियंत्रण केंद्रों पर इन ड्रोन को तैनात करने की योजना है।
हथियारों का अधिग्रहण खरीद प्रक्रिया का एक और आयाम प्रस्तुत करता है। रक्षा मंत्रालय को बम और मिसाइलों की खरीद के लिए एक अलग अनुबंध निष्पादित करने की आवश्यकता होगी। हंटर-किलर एमक्यू-9बी रीपर या प्रीडेटर-बी ड्रोन की खासियत यह है कि ये 40000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर लगभग 40 घंटे तक उड़ान भर सकते हैं। यह ड्रोन सटीक हमलों के लिए हेलफायर हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों और स्मार्ट बमों से लैस हैं।