डॉ. सीमा द्विवेदी
अयोध्या। राम मंदिर में रामलला के वर्तमान विराजमान गर्भगृह में ही रहेंगे। पत्रकारों से बातचीत में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भगवान की वर्तमान प्रतिमाएं जिनकी उपासना, सेवा, पूजा लगातार 70 साल (1950 से) से चली आ रही है, वो भी मूल मंदिर के मूल गर्भ गृह में ही उपस्थित रहेंगी।
उन्होंने बताया कि जैसे अभी उनकी पूजा और उपासना की जा रही है, वैसी ही 22 जनवरी से भी अनवरत की जाएगी। उन्होंने ये भी बताया कि पुरानी प्रतिमाओं के साथ-साथ श्रीरामलला के नए विग्रह को भी अंग वस्त्र पहनाए जाएंगे। वर्तमान में जहां श्रीरामलला की पूजा होती है, वहां श्रीरामलला तीनों भाइयों संग विराजमान हैं।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
हर परंपरा से जुड़े लोग आमंत्रित
चंपत राय के अनुसार, लगभग 150 से अधिक परंपराओं के संत धर्माचार्य, आदिवासी, गिरिवासी, समुद्रवासी, जनजातीय परंपराओं के संत महात्मा कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। इसके अतिरिक्त भारत में जितनी प्रकार की विधाएं हैं, चाहे वो खेल हो, वैज्ञानिक, सैनिक, प्रशासन, पुलिस, राजदूत, न्यायपालिका, लेखक, साहित्यकार, कलाकार, चित्रकार हो या मूर्तिकार हो, उसके श्रेष्ठजन आमंत्रित किए गए हैं। मंदिर के निर्माण से जुड़े 500 से अधिक लोग जिन्हें इंजीनियर ग्रुप का नाम दिया गया है, वो भी इस कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। इसके अलावा पूरे देश से हजारों अतिथि कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं।
22 को वीवीआईपी देर रात तक करेंगे दर्शन
चंपत राय ने कहा कि हमने मंदिर प्रांगण में 8 हजार कुर्सियां लगाई हैं, जहां विशिष्ट लोग बैठेंगे। मंदिर के विशाल परिसर में ही उनके अल्पाहार व भोजन आदि की व्यवस्था रहेगी। दोपहर एक बजे प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरा हो जाएगा। उसके बाद प्रधानमंत्री समेत पांच मुख्य व विशिष्ट अतिथि अपने भाव प्रकट करेंगे। इसके बाद सभी 8 हजार लोगों के दर्शन शुरू हो जाएंगे। ये दर्शन देर शाम तक पूरा होने तक चलेंगे।
ऐसे चलेगा 22 कार्यक्रम
चंपत राय ने बताया कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की शुरुआत में यजमान का दशाविधि में औषधियों, गोबर, गोघृत, शहद आदि से स्नान होगा। फिर विग्रह शिल्पी का प्रायश्चित कराया जाएगा। विग्रह निर्माण स्थल रामसेवक पुरम में विवेक सृष्टि भवन में विष्णु पूजन-होम होगा। वेदों का परायण किया जाएगा। दस बजे 121 ब्राह्मणों द्वारा अनुष्ठान शुरू होंगे, जो शाम तक चलेंगे।
अतिथियों में सभी धर्म, दर्शन के लोग
साधु संतों में सारा भारत, सभी भाषा-भाषी, शैव, वैष्णव, शाक्य, गणपति उपासक, सिख, बौद्ध, जैन के साथ ही जितने भी दर्शन हैं वे सभी , कबीर, वाल्मीकि, असम से शंकर देव की परंपरा, इस्कॉन, गायत्री, ओडिशा का महिमा समाज, महाराष्ट्र का बारकरी, कर्नाटक का लिंगायत सभी लोग उपस्थित रहेंगे।
चंपत राय ने बताया कि मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज का संगम, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण, अनेक स्थानों का जल आया है। तमाम लोग श्रद्धापूर्वक अपने स्थानों का जल और रज ला रहे हैं। हमारे समाज की सामान्य परंपरा है भेंट देने की, इसलिए दक्षिण नेपाल का वीरगंज जो मिथिला से जुड़ा हुआ क्षेत्र है, वहां से एक हजार टोकरों में भेंट आई है। इसमें अन्न हैं, फल हैं, वख हैं, मेवे हैं, सोना चांदी भी है। इसी तरह सीतामढ़ी से जुड़े लोग भी आए हैं, जहां सीता माता का जन्म हुआ, वहां से भी लोग भेंट लेकर आए हैं। यही नहीं, राम जी की ननिहाल छत्तीसगढ़ से भी लोग भेंट लाए हैं। एक साधु जोधपुर से अपनी गौशाला से घी लेकर आए हैं।
डॉ. सीमा द्विवेदी
अयोध्या। राम मंदिर में रामलला के वर्तमान विराजमान गर्भगृह में ही रहेंगे। पत्रकारों से बातचीत में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि भगवान की वर्तमान प्रतिमाएं जिनकी उपासना, सेवा, पूजा लगातार 70 साल (1950 से) से चली आ रही है, वो भी मूल मंदिर के मूल गर्भ गृह में ही उपस्थित रहेंगी।
उन्होंने बताया कि जैसे अभी उनकी पूजा और उपासना की जा रही है, वैसी ही 22 जनवरी से भी अनवरत की जाएगी। उन्होंने ये भी बताया कि पुरानी प्रतिमाओं के साथ-साथ श्रीरामलला के नए विग्रह को भी अंग वस्त्र पहनाए जाएंगे। वर्तमान में जहां श्रीरामलला की पूजा होती है, वहां श्रीरामलला तीनों भाइयों संग विराजमान हैं।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
हर परंपरा से जुड़े लोग आमंत्रित
चंपत राय के अनुसार, लगभग 150 से अधिक परंपराओं के संत धर्माचार्य, आदिवासी, गिरिवासी, समुद्रवासी, जनजातीय परंपराओं के संत महात्मा कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। इसके अतिरिक्त भारत में जितनी प्रकार की विधाएं हैं, चाहे वो खेल हो, वैज्ञानिक, सैनिक, प्रशासन, पुलिस, राजदूत, न्यायपालिका, लेखक, साहित्यकार, कलाकार, चित्रकार हो या मूर्तिकार हो, उसके श्रेष्ठजन आमंत्रित किए गए हैं। मंदिर के निर्माण से जुड़े 500 से अधिक लोग जिन्हें इंजीनियर ग्रुप का नाम दिया गया है, वो भी इस कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। इसके अलावा पूरे देश से हजारों अतिथि कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं।
22 को वीवीआईपी देर रात तक करेंगे दर्शन
चंपत राय ने कहा कि हमने मंदिर प्रांगण में 8 हजार कुर्सियां लगाई हैं, जहां विशिष्ट लोग बैठेंगे। मंदिर के विशाल परिसर में ही उनके अल्पाहार व भोजन आदि की व्यवस्था रहेगी। दोपहर एक बजे प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरा हो जाएगा। उसके बाद प्रधानमंत्री समेत पांच मुख्य व विशिष्ट अतिथि अपने भाव प्रकट करेंगे। इसके बाद सभी 8 हजार लोगों के दर्शन शुरू हो जाएंगे। ये दर्शन देर शाम तक पूरा होने तक चलेंगे।
ऐसे चलेगा 22 कार्यक्रम
चंपत राय ने बताया कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की शुरुआत में यजमान का दशाविधि में औषधियों, गोबर, गोघृत, शहद आदि से स्नान होगा। फिर विग्रह शिल्पी का प्रायश्चित कराया जाएगा। विग्रह निर्माण स्थल रामसेवक पुरम में विवेक सृष्टि भवन में विष्णु पूजन-होम होगा। वेदों का परायण किया जाएगा। दस बजे 121 ब्राह्मणों द्वारा अनुष्ठान शुरू होंगे, जो शाम तक चलेंगे।
अतिथियों में सभी धर्म, दर्शन के लोग
साधु संतों में सारा भारत, सभी भाषा-भाषी, शैव, वैष्णव, शाक्य, गणपति उपासक, सिख, बौद्ध, जैन के साथ ही जितने भी दर्शन हैं वे सभी , कबीर, वाल्मीकि, असम से शंकर देव की परंपरा, इस्कॉन, गायत्री, ओडिशा का महिमा समाज, महाराष्ट्र का बारकरी, कर्नाटक का लिंगायत सभी लोग उपस्थित रहेंगे।
चंपत राय ने बताया कि मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज का संगम, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण, अनेक स्थानों का जल आया है। तमाम लोग श्रद्धापूर्वक अपने स्थानों का जल और रज ला रहे हैं। हमारे समाज की सामान्य परंपरा है भेंट देने की, इसलिए दक्षिण नेपाल का वीरगंज जो मिथिला से जुड़ा हुआ क्षेत्र है, वहां से एक हजार टोकरों में भेंट आई है। इसमें अन्न हैं, फल हैं, वख हैं, मेवे हैं, सोना चांदी भी है। इसी तरह सीतामढ़ी से जुड़े लोग भी आए हैं, जहां सीता माता का जन्म हुआ, वहां से भी लोग भेंट लेकर आए हैं। यही नहीं, राम जी की ननिहाल छत्तीसगढ़ से भी लोग भेंट लाए हैं। एक साधु जोधपुर से अपनी गौशाला से घी लेकर आए हैं।