ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान किसी पीठ के सामने जब उसी हाईकोर्ट की समकक्ष पीठ के फैसले को नोटिस में लाया जाए तो उस फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए और वह फैसला संबंधित पीठ के लिए बाध्यकारी होगा। हालांकि ऐसे में जजों की समान संख्या वाली पीठ को यह अधिकार होगा कि वह मामले में अपनी भिन्न राय रखे और मामले को बड़ी पीठ को संदर्भित करे। सुप्रीम कोर्ट ने एक दीवानी मामले में सुनाए फैसले में यह बात कही।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने न्यायिक अनुशासन के महत्व पर बल देते हुए यह बात कही। पीठ ने कहा, न्यायिक अनुशासन और औचित्य के नियम और ‘उद्धरणों के सिद्धांत में यह क्षमता है कि इनसे न्यायिक निर्णयों में निश्चितता और स्थिरता को बढ़ावा मिल सके।