ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी हमेशा मां को मिलती है लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने एक मामले में बच्चे की कस्टडी पिता को सौंप दी। दरअसल भारतीय कानून के तहत पति-पत्नी का तलाक होने के बाद छोटे बच्चे को मां के साथ रहने की अधिकार है। इस केस में मां बच्चे को अपने साथ नहीं रखना चाहती थी इसलिए उसे पिता के पास छोड़ आई थी। कुछ दिन बाद वो उसे लेने गई तो बच्चे ने आने से मना कर दिया। उसके बाद मां पुलिस के पास गई और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
राजस्थान हाईकोर्ट की बेंच जस्टिस विनोद कुमार भरवानी और जस्टिस मणींद्र मोहन श्रीवास्तव ने बच्चे के पक्ष को सुनते हुए पिता को कस्टडी देने का फैसला सुनाया।
आखिर क्या है बच्चे की कस्टडी का कानून
कस्टडी का मतलब प्रोटेक्शन यानी संरक्षण से है। बात बच्चे की कस्टडी की करें तो यहां पर बच्चे के पालन-पोषण और निगरानी से है। पति-पत्नी के बीच तलाक होने की स्थिति में बच्चे की कस्टडी यानी बच्चा किसके पास रहेगा, ये तय किया जाता है।
पति-पत्नी का तलाक होने के बाद कानूनी तौर पर बच्चे की देखभाल बेहतर तरीके से कौन करेगा, ये कोर्ट में तय किया जाता है और उसे ही बच्चा सौंपा जाता है। इसलिए पेरेंट्स को बच्चे की कस्टडी लेने की जरूरत पड़ती है। गार्डियन एंड वार्ड एक्ट के तहत पिता का भी मां के जितना ही बराबर अधिकार होता है। हां बस अगर बच्चे की उम्र 5 साल से कम है तो इस स्थिति में बच्चे की कस्टडी मां के पास रहने की गुंजाइश ज्यादा होती है।