संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। गूगल, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, ओपन एआई, टिकटॉक और एक्स सहित 20 टेक कंपनियों ने 2024 के चुनाव में वोटिंग को प्रभावित करने वाला छद्म एआई कंटेंट रोकने के स्वैच्छिक वचन पर हस्ताक्षर किए हैं। म्यूनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में इस समझौते की घोषणा हुई है। वैसे, इन कंपनियों ने चुनाव से संबंधित एआई कंटेंट पर प्रतिबंध लगाने की अपील नहीं की है। टेक कंपनी एंथ्रोपिक ने अलग से कहा कि वह राजनीतिक अभियान के लिए अपनी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाएगी। कंसल्टिंग फर्म एंकर चेन्ज के अनुसार दुनियाभर में इस साल 83 चुनाव होने की संभावना है। ऐसा अगले 24 वर्ष तक नहीं होगा।
अभी हाल में ताईवान, पाकिस्तान और इंडोनेशिया में चुनाव हो चुके हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में भी चुनाव होंगे। अमेरिका में चुनाव अभियान में एआई जनरेटेड कंटेंट सामने आने लगा है। कुछ राज्यों में विधायक राजनीतिक एआई कंटेंट पर नियंत्रण के लिए विधेयक तैयार कर रहे हैं। एआई टूल्स से अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और कनाडा में राजनेताओं और राजनीतिक विषयों पर भ्रामक और नकली कंटेंट बनाया जा चुका है। पिछले सप्ताह पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जेल में रहते हुए अपनी पार्टी की जीत की घोषणा एआई आवाज से की थी।
टेक्नोलॉजी को बेहतर बनाने पर काम जारी
स्पष्ट नहीं है कि एआई टूल्स पर रोक कितनी प्रभावी होगी क्योंकि टेक कंपनियां आधुनिक टेक्नोलॉजी पर लगातार आगे बढ़ रही हैं। ओपन एआई ने सोरा टेक्नोलॉजी पेश की है। यह असली वीडियो फौरन जनरेट कर सकती है। राजनीतिक अभियानों में भ्रम और झूठ फैलाने वाले ऐसे टूल्स का इस्तेमाल टेक्स्ट, आवाज और इमेज बनाने में किया जा सकता है। सवाल उठते हैं कि क्या वोटर जान सकेंगे कि कौन सा कंटेंट असली है।
चैटबॉट चैटजीपीटी की मेकर ने कहा था
पिछले साल चैटबॉट चैटजीपीटी की मेकर ओपन एआई ने कहा था, वह चुनावों में अपने टूल्स का दुरुपयोग रोकने के लिए काम कर रही है। असली व्यक्तियों या संस्थाओं का आभास कराने वाले चैटबॉट्स बनाने में टूल्स का उपयोग रोका जाएगा। गूगल ने कहा कि एआई चैटबॉट बाेर्ड को चुनाव से संबंधित कुछ कंटेंट पर पहल करने से रोकेगी। फेसबुक, इंस्टाग्राम की कंपनी मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म पर एआई जनरेटेड कंटेट को स्तरीय बनाने के लिए कहा है।