संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। किराए से होने वाली आय पर कर चोरी को रोकने के लिए बजट में नियम बदले गए हैं। इसके तहत मकान मालिक किराये से हुई आय को व्यवसाय से हुई आमदनी के रूप में नहीं दिखा सकेंगे। इसे अब गृह संपत्ति से हुई आय (रेंटल इनकम) के तौर पर ही दिखाना होगा। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए आयकर अधिनियम में बदलाव किया जाएगा।
नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे
नए नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। वर्तमान में कुछ करदाता अपनी किराए की आमदनी को गलत आय श्रेणी में दिखा देते हैं और उससे उनका काफी कर बच जाता है।
कुल कमाई की पांच श्रेणियां
मौजूदा आयकर कानून के मुताबिक, एक करदाता ने एक वित्त वर्ष में जितनी कुल कमाई की है, उसे पांच आय श्रेणियों में बांटा जाता है। इनमें श्रेणियों में वेतन से हुई आय, आवास-संपत्ति से हुई आय,व्यवसाय या पेशे से हुई आय या लाभ, पूंजीगत लाभ से हुई आय और और अन्य स्रोतों से हुई आमदनी शामिल हैं।
ऐसे बचा रहे थे कर
अब तक मकान मालिक के पास किराए से हुई आय को ‘व्यवसाय या पेश से हुई आय या लाभ’ श्रेणी में दिखाने का विकल्प था। इसका मतलब यह है कि जो मुनाफा कमाया जाता है, वह इस मद के तहत कर योग्य होता है। जिस रकम पर कर की गणना की जाती है, उसे निर्धारित करने के लिए करदाता कुल आय से अपने खर्चों को घटा सकता है। इसके तहत मकान मालिक यह दिखा सकते थे कि उन्हें घाटा हुआ है। यानी जितना किराया आ रहा है, उससे ज्यादा खर्च हो जाता है। ऐसे में उनका पूरा कर बच जाता था।
मकान मालिक गलत आय श्रेणी नहीं चुन पाएंगे
अब मकान मालिकों को किराए से हुई कमाई को आवास-संपत्ति से हुई आय श्रेणी में ही दिखाना पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि अब मकान मालिक को पूरी रेंटल इनकम पर कर चुकाना होगा। उनके लिए कुल आय में से घाटा दिखाने का विकल्प खत्म हो जाएगा। सरकार का कहना है कि इससे किराए से हुई आय को गलत श्रेणी में दिखाने की प्रवृत्ति रुकेगी।
फिर भी कर बचा सकेंगे घर और संपत्ति मालिक
1. गृह संपत्ति श्रेणी कर छूट मिलेगी। 2 संपत्ति की शुद्ध आय की गणना कर 30 प्रतिशत तक कर बचेगा। यह आय मानक कटौती में आएगी। • अगर उसने ऋण लेकर संपत्ति खरीदी है या घर बनवा रहे हैं, तो उसे चुकाने के लिए जो ब्याज देंगे, उस पर कर नहीं लगेगा।