ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को केंद्र और रेलवे के साथ बैठक करके हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कथित रूप से अतिक्रमण करने वाले 50 हजार से अधिक लोगों के पुनर्वास की योजना बनाने का निर्देश दिया है।
यह आदेश केंद्र सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से 5 जनवरी 2022 के उस आदेश को वापस लेने की मांग की थी, जिसमें उत्तराखंड हाई कोर्ट के हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश पर रोक लगा दी गई थी।
राज्य सरकार को योजना प्रस्तुत करनी होगी
जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को यह योजना प्रस्तुत करनी होगी कि इन लोगों का पुनर्वास कैसे और कहां किया जाएगा।
पीठ ने कहा, अंतिम बात यह है कि परिवार दशकों से इस जमीन पर रह रहे हैं, वे इंसान हैं और अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं। अदालतों को संतुलन बनाए रखना होगा और राज्य को कुछ करना होगा।
आवश्यक भूमि की पट्टी की पहचान करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को बुनियादी ढांचे के उन्नयन और रेलवे लाइन के स्थानांतरण के लिए आवश्यक भूमि की पट्टी की पहचान करने का निर्देश दिया है। साथ ही, बेदखली से प्रभावित होने वाले संभावित परिवारों की पहचान भी करनी होगी।
लोग दावा कर रहे कि वे वैध मालिक हैं
रेलवे के अनुसार, इस भूमि पर 4,365 अतिक्रमणकारी हैं, जबकि वहां रहने वाले लोग दावा कर रहे हैं कि वे इसके वैध मालिक हैं। विवादित भूमि पर लगभग 50 हजार लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं और वे 4,000 से अधिक परिवारों से संबंधित हैं।
हजारों का जीवन प्रभावित हो सकता है
यह मामला काफी संवेदनशील है और इसमें हजारों लोगों के जीवन प्रभावित हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से उम्मीद है कि इस मुद्दे का एक न्यायसंगत और मानवीय समाधान निकाला जा सकेगा। राज्य सरकार, केंद्र सरकार और रेलवे के बीच समन्वय से एक ऐसी योजना बनाने की उम्मीद है जो प्रभावित लोगों के हितों की रक्षा करते हुए कानून का भी पालन करे।