ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। बंगाल में पंचायत चुनाव में सुरक्षा बल तैनाती के मुद्दे पर ममता बनर्जी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से जोर का झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि पंचायत चुनाव के दौरान राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बल ही तैनात होंगे। कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी यही आदेश दिया था जिसके खिलाफ बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए अपील खारिज कर दी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना ने ममता बनर्जी सरकार से पूछा कि आपने कहा था कि पुलिस पर्याप्त नहीं है। चूंकि आपने आधा दर्जन राज्यों से फोर्स मांगी है, अब हाई कोर्ट ने भी इसे देखा है। खर्च तो केंद्र को वहन करना होगा। 75000 बूथ स्थापित किए जाने हैं और आपने कहा कि पुलिस फोर्स की कमी के चलते बाहर से फोर्स मंगाई जाए। इस पर बंगाल सरकार ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि पुलिस फोर्स हैंडल करने के लिए तैयार नहीं है।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ‘चुनाव कराना हिंसा के लिए लाइसेंस नहीं हो सकता और हाई कोर्ट ने पहले हुईं हिंसा की घटनाओं को देखा है । अगर लोग अपने नामांकन ही नहीं दाखिल कर पा रहे हैं और उन्हें नामांकन करने जाते समय मार दिया जा रहा है तो मुक्त और निष्पक्ष चुनाव कहां रह गए?’ इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि इन सबसे राज्य चुनाव आयोग को क्या परेशानी है? फोर्सेज कहां से आ रही हैं, इसकी चिंता करना आपका काम नहीं है।
हाईकोर्ट के आदेश में दखल नहीं
जस्टिस ने कहा, हमें लगता है कि उच्च न्यायालय के आदेश का उद्देश्य पश्चिम बंगाल के पूरे राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है क्योंकि स्थानीय निकायों में चुनाव के लिए मतदान एक ही दिन है और बूथों की संख्या काफी ज्यादा। हाईकोर्ट के आदेश में किसी तरह के दखल की जरूरत नहीं है। हम हाईकोर्ट के किसी निर्देश में दखल नहीं दे रहे हैं। अपीलें खारिज की जाती हैं।