ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द होने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हालांकि, 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इंकार कर दिया था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पहले मुझे एक ईमेल भेजें। मैं इसकी जांच करूंगा। उसके बाद जरूरी आदेश पारित करूंगा। सीजेआई ने महुआ के वकील से कहा कि याचिका को सूचीबद्ध करने पर आगे फैसला करेंगे।
बता दें कि 8 दिसंबर को महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। उन्होंने लोकसभा के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और याचिका दायर कर चुनौती दी। महुआ ने अर्जी में कहा है कि उनके निष्कासन की प्रक्रिया गैर कानूनी है। महुआ पर अपने दोस्त हीरानंदानी को संसद की लॉगइन आईडी और पासवर्ड शेयर करने का आरोप है। एथिक्स कमेटी ने इन आरोपों को सही बताया था। संसद में एक रिपोर्ट पेश की गई। इसमें महुआ के खिलाफ आरोपों को गंभीर बताया गया और संसद सदस्यता रद्द करने की मांग की थी।
इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद संसद में ध्वनिमत से कार्रवाई का प्रस्ताव पारित हो गया था। स्पीकर ओम बिरला ने कहा था, यह सदन समिति के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक और अशोभनीय था। इसलिए उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है। उन्हें ‘कैश फॉर क्वेरी’ मामले में दोषी पाया गया। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया है।
एथिक्स समिति की रिपोर्ट 495 पन्नों की है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि महुआ मोइत्रा ने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे और गिफ्ट लेकर संसद में सवाल पूछे थे।