ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में रिहा किए गए आरोपी की दोषसिद्धि बरकरार रखने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर मामले पर सुनवाई की। दरअसल इस मामले में 18 अक्तूबर 2023 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने विवादास्पद टिप्पणी की थी, जिसकी काफी चर्चा हुई थी।
हाईकोर्ट ने यह कहा था
हाईकोर्ट ने पोक्सो कानून के तहत दर्ज दुष्कर्म के एक मामले में मामले में 25 वर्षीय आरोपी को रिहा करते हुए लड़कियों के यौन व्यवहार पर कई टिप्पणियां की थीं। जस्टिस चितरंजन दास और जस्टिस पार्थ सारथी सेन की खंडपीठ ने दुष्कर्म के दोषी युवक को रिहा करते हुए अपने फैसले में कहा था कि प्रत्येक किशोरी और लड़की का यह कर्तव्य है कि वह अपने शरीर की अखंडता की रक्षा करे और अपनी गरिमा और आत्म सम्मान की भी रक्षा करे। लड़कियां अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रण में रखें।
विवादास्पद टिप्पणियों को खारिज किया
अब सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल की खंडपीठ ने अपने फैसले में हाईकोर्ट की विवादास्पद टिप्पणियों को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणियां न केवल अत्यधिक आपत्तिजनक थीं बल्कि अनुचित भी थीं।
यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किशोरों के अधिकारों का उल्लंघन भी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा व्यक्तिगत राय व्यक्त करने और कथित उपदेश देने की भी आलोचना की।