दीप्सी द्विवेदी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से दो दिनों में दो बड़े फैसले आए जो कर्मचारियों के हक से जुड़े हुए हैं। कई कर्मचारी हैं जो ऐसे मामलों में कोर्ट कचहरी के चक्क र काटते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि किसी मामले में कोई सूचना छिपाना, झूठी जानकारी और एफआइआर की जानकारी नहीं देने का मतलब यह नहीं है कि नौकरी देने वाला मनमाने ढंग से कर्मचारी को बर्खास्त कर सकता है।
सूचना छिपाने वाले व्यक्ति को सेवा में बनाए रखने की मांग का अधिकार नहीं
ट्रेनिंग के दौरान पता चली एफआइआर की बात
सुप्रीम कोर्ट में पवन कुमार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई हुई। पवन को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में कांस्टेबल के पद के लिए चुना गया था। जब पवन की ट्रेनिंग शुरू थी तो उसे इस आधार पर एक आदेश से हटा दिया गया कि कैंडिडेट ने यह खुलासा नहीं किया कि उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति ने जानकारी को छिपाया है या गलत घोषणा की है, उसे सेवा में बनाये रखने की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है लेकिन कम से कम उसके साथ मनमाने ढंग से व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता की ओर से भरे गए सत्यापन फॉर्म के समय, उसके खिलाफ पहले से ही आपराधिक मामला दर्ज किया गया था, शिकायतकर्ता ने अपना हलफनामा दायर किया था कि जिस शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी वह गलतफहमी के कारण थी। पीठ ने कहा, सेवा से हटाने का आदेश उपयुक्त नहीं है और इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित निर्णय सही नहीं है और यह रद्द करने योग्य है।