ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र ने बहुप्रतीक्षित डिजिटल विज्ञापन नीति जारी कर दी है। इसके तहत डिजिटल प्लेटफार्म पर लाखों सब्सक्राइबर वाले ‘इन्फ्लूएंजर’ को भी सरकारी विज्ञापन मिलेगा। यूट्यूबर‚, इंस्टाग्राम‚, फेसबुक पर जनता को प्रभावित करने वालों को ‘टारगेटेड’ विज्ञापन दिया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने बताया कि पहले प्रिंट और टीवी को विज्ञापन देने की नीति थी, फिर टीवी या प्रिंट के वेबसाइट को विज्ञापन दिया गया। आज का युवा मोबाइल देख रहा है। इसलिए यदि किसी माध्यम के दर्शक ज्यादा हैं तो सरकार को वहां तक पहुंचना चाहिए। सरकार ने ‘टारगेटेड’ विज्ञापन देने की नीति बनाई है। यदि कोई समाचार देखता है तो उसे समाचार संबंधी विज्ञापन दिखाया जाएगा और यदि कोई खाना पकाने की विधि बताने का काम कर रहा है तो उसे गृहणियों को प्रभावित करने वाले विज्ञापन दिए जाएंगे।
मालूम हो कि आज डिजिटल युग में इन्फ्लूएंजर के करोड़़ों की संख्या में सब्सक्राइबर हैं और लोग उनकी बातों को मानते हैं। यदि उनके सोशल मीडिया पर सरकारी विज्ञापन जारी किए जाएंगे तो सरकार का संदेश जमीनी स्तर तक जाएगा। अपूर्व चंद्रा का कहना है कि आने वाले समय में 50 प्रतिशत विज्ञापन डिजिटल प्लेटफार्मों को जा सकते हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पेश की गई नीति‚ केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) को डिजिटल मीडिया क्षेत्र में प्रचार करने में सक्षम और सशक्त बनाएगी।
नीति के मुताबिक वेबसाइट को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाने के अलावा‚ सीबीसी अब पहली बार अपने सार्वजनिक सेवा अभियान संदेशों को मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से प्रसारित करने में सक्षम होगा। यह नीति पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करते हुए हर खोज के लिए प्रतिस्पर्धी बोली भी पेश करती है। ओटीटी मंचों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है – श्रेणी ए में २५ लाख से अधिक उपयोगकर्ता और श्रेणी बी में पांच से २५ लाख उपयोगकर्ता हैं। सीबीसी के साथ पैनल में शामिल होने के लिए पॉडकास्टर या डि़जिटल ऑडियो मंचों के पास कम से कम पांच लाख उपयोगकर्ता होने चाहिए। ऐसे मंचों को भी ‘ए’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिनके पास २५ लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं और ‘बी’ के रूप में ५ लाख–२५ लाख के बीच उपयोगकर्ता हैं।
वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन को चार श्रेणियों में किया गया है।