दीप्सी द्विवेदी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद के बीच भूमि विवाद से जुड़े सभी मुकदमों की सुनवाई एक साथ करेगा। कोर्ट ने मथुरा के जिला जज को इस मामले से जुड़े सभी मुकदमों के रिकॉर्ड दो सप्ताह में भेजने को कहा है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में दिए अपने फैसले में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व के साथ संवेदनशील है। इसमें कानूनी प्रश्न भी निहित हैं। इससे पूरा देश प्रभावित होगा। इस वजह से यह मामला हाईकोर्ट यानी राज्य की सर्वोच्च अदालत में ही सुना जाना सही होगा। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र की एकल पीठ ने यह फैसला भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव, खेवत मथुरा सात अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिया । इसमें मामले की सुनवाई श्रीराम मंदिर मामले की तरह हाईकोर्ट में किए जाने की मांग की गई थी।
3 मई को किया था फैसला सुरक्षित
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीन मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस मिश्र ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजते हुए सुनवाई के लिए उपयुक्त पीठ नामित करने के भी आग्रह किया है।
कानूनों व अनुच्छेदों की व्याख्या जरूरी
कोर्ट ने आदेश में कहा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा जो कभी कंस की जेल थी, उसमें पूजा के अधिकार एवं उस पर बनी मस्जिद को हटाने का मामला दोनों धर्मों के करोड़ों हिंदू-मुसलमानों की भावना, आस्था व विश्वास से जुड़ा हुआ है। इसमें कानूनों व संविधान के अनुच्छेदों की व्याख्या की जानी है।
वक्फ और ट्रस्ट में भेद तय करना है
कोर्ट ने श्रीराम जन्मभूमि विवाद मामले का हवाला देते हुए कहा है कि अधीनस्थ अदालत में इस मामले के ट्रायल में देरी होगी। न्याय हित व वादकारियों का समय बचाने के लिए राम जन्मभूमि की तरह श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे का हल हाईकोर्ट में निकाला जाए।
किसी के अधिकार नहीं होंगे प्रभावित
कोर्ट ने यह भी कहा कि भगवान श्रीकृष्ण मानव रूप में जेल में प्रकट हुए। मान्यता है कि जेल पर मस्जिद बनी हुई है। यह अधिकारों व इतिहास का भी विषय है। इस पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू होगा या नहीं, यह तय होना है। संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 300ए, सेवायत, जन्मस्थान जैसे कई सवालों के जवाब तलाशने होंगे। सभी मामले एक साथ हाईकोर्ट में सुने जाने से किसी के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।
13.37 एकड़ भूमि को लेकर विवाद
हिंदू पक्ष के वरिष्ठ वकील विष्णु जैन ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद के बीच 13.37 एकड़ भूमि के विवाद को लेकर मथुरा की अदालत में याचिका दाखिल करते समय 10 मुकदमे लंबित थे। अब कुछ और नए मुकदमे दाखिल हुए हैं। भूमि विवाद से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई एक साथ हाईकोर्ट में होनी चाहिए। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि जमीन अंग्रेजों ने नीलाम की थी और कुछ हिस्सा मस्जिद बनाने के लिए दिया था।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग संबंधी याचिका की सुनवाई पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की यह मांग खारिज होने के बाद वाराणसी जिला जज की अदालत में मामले की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। जिला अदालत में राखी सिंह व नौ अन्य महिलाओं ने सिविल वाद दाखिल कर रखा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी वाराणसी की तरफ से दाखिल पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए दिया है। इसके पहले कमेटी की ओर से नियमित पूजा का अधिकार दिए जाने संबंधी जिला जज वाराणसी की अदालत में दाखिल अर्जी पर सुनवाई रोकने की मांग की गई थी। कमेटी ने वाद की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए कहा था कि पूजास्थल अधिनियम-1991 के उपबंधों के तहत जिला अदालत को वाद सुनने का अधिकार नहीं है। जिला अदालत ने दलीलों को बेदम मानते हुए याचिका खारिज कर दी थी। कमेटी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी जो अदालत ने खारिज कर दी।
दीप्सी द्विवेदी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद के बीच भूमि विवाद से जुड़े सभी मुकदमों की सुनवाई एक साथ करेगा। कोर्ट ने मथुरा के जिला जज को इस मामले से जुड़े सभी मुकदमों के रिकॉर्ड दो सप्ताह में भेजने को कहा है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में दिए अपने फैसले में न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व के साथ संवेदनशील है। इसमें कानूनी प्रश्न भी निहित हैं। इससे पूरा देश प्रभावित होगा। इस वजह से यह मामला हाईकोर्ट यानी राज्य की सर्वोच्च अदालत में ही सुना जाना सही होगा। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र की एकल पीठ ने यह फैसला भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव, खेवत मथुरा सात अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर दिया । इसमें मामले की सुनवाई श्रीराम मंदिर मामले की तरह हाईकोर्ट में किए जाने की मांग की गई थी।
3 मई को किया था फैसला सुरक्षित
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीन मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस मिश्र ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजते हुए सुनवाई के लिए उपयुक्त पीठ नामित करने के भी आग्रह किया है।
कानूनों व अनुच्छेदों की व्याख्या जरूरी
कोर्ट ने आदेश में कहा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा जो कभी कंस की जेल थी, उसमें पूजा के अधिकार एवं उस पर बनी मस्जिद को हटाने का मामला दोनों धर्मों के करोड़ों हिंदू-मुसलमानों की भावना, आस्था व विश्वास से जुड़ा हुआ है। इसमें कानूनों व संविधान के अनुच्छेदों की व्याख्या की जानी है।
वक्फ और ट्रस्ट में भेद तय करना है
कोर्ट ने श्रीराम जन्मभूमि विवाद मामले का हवाला देते हुए कहा है कि अधीनस्थ अदालत में इस मामले के ट्रायल में देरी होगी। न्याय हित व वादकारियों का समय बचाने के लिए राम जन्मभूमि की तरह श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे का हल हाईकोर्ट में निकाला जाए।
किसी के अधिकार नहीं होंगे प्रभावित
कोर्ट ने यह भी कहा कि भगवान श्रीकृष्ण मानव रूप में जेल में प्रकट हुए। मान्यता है कि जेल पर मस्जिद बनी हुई है। यह अधिकारों व इतिहास का भी विषय है। इस पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू होगा या नहीं, यह तय होना है। संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 300ए, सेवायत, जन्मस्थान जैसे कई सवालों के जवाब तलाशने होंगे। सभी मामले एक साथ हाईकोर्ट में सुने जाने से किसी के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे।
13.37 एकड़ भूमि को लेकर विवाद
हिंदू पक्ष के वरिष्ठ वकील विष्णु जैन ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद के बीच 13.37 एकड़ भूमि के विवाद को लेकर मथुरा की अदालत में याचिका दाखिल करते समय 10 मुकदमे लंबित थे। अब कुछ और नए मुकदमे दाखिल हुए हैं। भूमि विवाद से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई एक साथ हाईकोर्ट में होनी चाहिए। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि जमीन अंग्रेजों ने नीलाम की थी और कुछ हिस्सा मस्जिद बनाने के लिए दिया था।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग संबंधी याचिका की सुनवाई पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की यह मांग खारिज होने के बाद वाराणसी जिला जज की अदालत में मामले की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है। जिला अदालत में राखी सिंह व नौ अन्य महिलाओं ने सिविल वाद दाखिल कर रखा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी वाराणसी की तरफ से दाखिल पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए दिया है। इसके पहले कमेटी की ओर से नियमित पूजा का अधिकार दिए जाने संबंधी जिला जज वाराणसी की अदालत में दाखिल अर्जी पर सुनवाई रोकने की मांग की गई थी। कमेटी ने वाद की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए कहा था कि पूजास्थल अधिनियम-1991 के उपबंधों के तहत जिला अदालत को वाद सुनने का अधिकार नहीं है। जिला अदालत ने दलीलों को बेदम मानते हुए याचिका खारिज कर दी थी। कमेटी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी जो अदालत ने खारिज कर दी।