मनोज जैन
नई दिल्ली। रिलायंस जियो को देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए अंतरिक्ष नियामक से मंजूरी मिल गई है। जियो इसे लक्जमबर्ग के एसईएस समूह के साथ मिलकर शुरू करेगा। इसके जरिए देश के इन दुर्गम इलाकों में भी इंटरनेट सेवा उपलब्ध हो सकेगी, जहां मोबाइल टॉवर तक नहीं हैं। जियो प्लेटफॉर्म और लक्जमबर्ग की एसईएस का यह संयुक्त उद्यम ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया होगा। हालांकि परिचालन शुरू करने के लिए दूरसंचार विभाग सहित अन्य सरकारी विभागों से मंजूरी लेनी होगी।
पिछले साल की थी तैयारी
गौरतलब है कि रिलायंस जियो ने इस क्षेत्र में उतरने का इरादा पिछले साल जता दिया था। कंपनी ने इंडियन मोबाइल कांग्रेस के सातवें संस्करण के दौरान सैटेलाइट-आधारित गीगाबिट इंटरनेट सेवा का प्रदर्शन किया था। इसका उपयोग देश के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में तेज रफ्तार इंटरनेट सेवाएं पहुंचाने के लिए किया गया। गुजरात में गिर, छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओडिशा में नबरंगपुर और असम में जोरहाट को इस सेवा से जोड़कर दिखाया था।
स्टारलिंक के मुकाबले दायरा ज्यादा व्यापक
जियो की यह सेवा कई मायनों में अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक से अलग हो सकती है। स्टारलिंक धरती की निचली कक्षा में स्थापित सैटेलाइट का इस्तेमाल करती है, जबकि जियो स्पेस फाइबर मध्यम दूरी की कक्षा में स्थित सैटेलाइट का। निचली कक्षा में सैटेलाइट पृथ्वी से 160 से 2000 किलोमीटर ऊपर स्थित होते हैं, वहीं मध्यम कक्षा में धरती से 2,000 से 12,000 किलोमीटर ऊपर स्थित होते हैं।
अमेजन की कुइपर और स्टारलिंक कंपनी ने भी भारत में इस सेवा के लिए आवेदन किया है लेकिन मंजूरी नहीं मिली क्योंकि सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटित नहीं किए हैं। अमेजन 10 अरब डॉलर का निवेश करेगी। वहीं, स्टारलिंक 1500 सैटेलाइट तैनात कर चुका है।
क्या है सैटेलाइट इंटरनेट
यह वायरलेस इंटरनेट सेवा है, जिसमें अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रहों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें रेडियो तरंगों का उपयोग होता है। उपयोगकर्ता को सैटेलाइट डिश और रिसीवर लगाने पड़ते हैं। मोबाइल उपयोगकर्ता इसका सीधा इस्तेमाल कर सकते हैं। फोन रिसीवर का काम करता है। अभी शुरुआती दौर में इस इंटरनेट की रफ्तार 50 से 150 एमबीपीएस के बीच है। कंपनियां इसे 300 एमबीपीएस तक पहुंचाना चाहती हैं। मौसम खराब होने पर इंटरनेट की रफ्तार प्रभावित हो सकती है।
फायदे
1. शिक्षा ः ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा का लाभ मिल सकेगा।
2. व्यापार ः छोटे और मध्यम उद्यमी अपने उत्पादों और सेवाओं को ऑनलाइन बेच सकेंगे।
3. स्वास्थ्य सेवाएं : दूरदराज के
इलाकों में टेलीमेडिसिन और ऑनलाइन स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा। लोग घर बैठे ही डॉक्टरों से परामर्श ले सकेंगे।
4. कृषि ः किसानों को कृषि संबंधित और मौसम की जानकारी मिलेगी।
5. आपदा ः दूर-दराज इलाकों में आपदा की स्थिति में आसानी से संपर्क स्थापित किया जा सकेगा।