ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। 23 जुलाई को वर्ष 2204 का पूर्ण बजट पेश होगा। इस दौरान देश के युवाओं, किसानों और नौकरीपेशा लोगों की नजरें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर रहेंगी। सभी को उम्मीद है कि इस बजट से उनके लिए कुछ न कुछ जरूर निकलेगा। इस बार बजट में सरकार हर तबके पर अपना फोकस बढ़ा सकती है। इसके पहले अंतरिम बजट में कुछ खास एलान नहीं हुए थे। शिक्षा क्षेत्र को भी खास उम्मीद है
एचआरए में बदलाव की जरूरत
कोविड महामारी के बाद देशभर में मकानों का किराया बहुत तेजी से बढ़ा है। मिडिल क्लास का बजट इस किराए के चलते बुरी तरह से बिगड़ा हुआ है। ऐसे में कर्मचारी हाउस रेंट अलाउंस डिडक्शन में भी राहत की उम्मीद कर रहे हैं। मौजूदा समय में शहर के हिसाब से एचआरए दिया जाता है।
इसके अलावा हैदराबाद और बेंगलुरु समेत कई बड़े शहरों को मेट्रो सिटी के दायरे में लाने की उम्मीद जताई जा रही है। ताकि इन शहरों में नौकरी करने वालों को भी दिल्ली और मुंबई के बराबर एचआरए का फायदा मिल सके।
75000 रुपए हो सकता है स्टैंडर्ड डिडक्शन
बजट में सैलरीड और पेंशनहोल्डर्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को मौजूदा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जा सकता है। सरकार टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ा सकती है लेकिन सीधे 1 लाख रुपये करने की गुंजाइश बेहद कम है। जानकारों का भी मानना है कि इसे बढ़ाने से टैक्सपेयर्स को काफी फायदा होगा।
टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीद
कहा जा रहा है कि न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में भी बड़े बदलावों की उम्मीद की जा रही है। फिलहाल यह 5 से 30 फीसदी के बीच है। इसके साथ ही एनपीएस टैक्स सिस्टम में भी बदलाव की उम्मीद की जा रही है। इसके अलावा ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत भी टैक्स स्लैब में बदलाव का एलान संभव है।
मेडिक्लेम प्रीमियम की लिमिट बढ़ाई जाए
जिस हिसाब से मेडिकल सेवाएं महंगी हो रही हैं, उसी तरह मेडिक्लेम प्रीमियम में भी बढ़ोतरी हुई है। कोरोना महामारी के बाद लोगों की इंश्योरेंस के प्रति जागरुकता बढ़ी है। इस महामारी के शिकार ज्यादातर बुजुर्ग लोग ही हुए थे। ऐसे में इंश्योरेंस को सीनियर सिटिजंस तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बजट में सीनियर सिटिजंस के लिए हेल्थ इंश्योरेंस या मेडिक्लेम प्रीमियम पर मिलने वाली टैक्स छूट को बढ़ाकर 1 लाख रुपये किए जाने की मांग की जा रही है। मौजूदा समय में सेक्शन 80डी के तहत सीनियर सिटिजंस को 50,000 रुपये का टैक्स डिडक्शन मिलता है।
इंपोर्ट ड्यूटी पर राहत मिलने के आसार
बजट में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी में बदलाव हो सकता है। एंटीबायोटिक, कॉपर और स्टील के रॉ मैटेरियल की इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती की संभावना जताई जा रही है। पेपर, पेपरबोर्ड, मेडिकल डिवाइस, एल्यूमीनियम, जिंक में डंपिंग रोकने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं मेटल, फार्मा, पेपर, मेडिकल डिवाइस, टेक्सटाइल और लेदर सेक्टर को इंपोर्ट ड्यूटी के मोर्चे पर बड़ी राहत मिल सकती है।
सीनियर सिटिजंस को बजट से क्या हैं उम्मीदें
आमतौर पर बजट में सीनियर सिटिजंस के लिए कुछ न कुछ एलान जरूर होता है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194पी के तहत 75 साल या इससे ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को कुछ मामलों में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से छूट दी गई है।
सीनियर सिटिजंस की मांग है कि इस सेक्शन के तहत उम्र की सीमा को 75 साल से घटाकर 60 साल किया जाना चाहिए।
चैंबर ऑफ ट्रेड इंडस्ट्री की बजट से मांगें
चेंबर ऑफ ट्रेड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कई मांगें की हैं। इसके लिए उन्होंने वित्त मंत्रालय को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि इनकम टैक्स का नाम बदलकर ‘राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि’ रखा जाए। इस नाम पर सीटीआई का तर्क है कि अगर ये नाम रखा जाता है, तो फिर इन्कम टैक्स को लेकर लोगों की भावनाओं पर असर होगा। लोग ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने के लिए प्रेरित होंगे।
बजट से पहले वित्त मंत्री ने परोसा हलवा
हर साल की तरह इस साल के आम बजट से पहले की मीठी रस्म ‘हलवा सेरेमनी’ का आयोजन किया गया। हलवा सेरेमनी के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के अलावा वित्त मंत्रालय के आला अधिकारी मौजूद रहे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद अपने हाथों से बजट की शुभ शुरुआत वाले इस मीठे हलवे को वित्त राज्य मंत्री, अधिकारियों और वित्त मंत्रालय, नॉर्थ ब्लॉक बजट प्रेस के अन्य कर्मचारियों को बांटा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सातवीं बार बजट पेश करेंगी।
12 लाख रुपये तक की आय पर नहीं लगे टैक्स : रामदेव अग्रवाल
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने कहा है कि 12 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगना चाहिए। यह फ्री होना चाहिए। दरअसल, 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये की कमाई पर 10 फीसदी टैक्स भरना होता है। 10 लाख से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की आय पर 25 फीसदी तथा 15 लाख रुपये से ज्यादा आय वालों पर पहले की तरह 30 फीसदी टैक्स लगता है।