ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात में बिलकिस बानो के सामूहिक दुष्कर्म और उसको परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों में से दो की याचिकाओं पर विचार करने से इन्कार कर दिया।
दोषी राधेश्याम भगवानदासह और राजूभाई बाबूलाल सोनी ने गुजरात सरकार के आदेश पर उनकी रिहाई को रद करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत ने दोनों की अंतरिम जमानत की अर्जी को भी खारिज कर दिया।
जस्टिस संजय खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने दोनों दोषियों को याचिका की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा, यह याचिका क्या है? यह कैसे स्वीकार्य है? पूरी तरह से गलत है। अनुच्छेद 32 के तहत याचिका कैसे दायर की जा सकती है? हम सुप्रीम कोर्ट की किसी अन्य पीठ के आदेश के खिलाफ कैसे सुनवाई कर सकते हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील ऋषि महोत्रा ने इसके बाद याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया। शीर्ष अदालत ने जनवरी 2024 में गुजरात सरकार के अगस्त, 2022 के फैसले को रद कर दिया था।