ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले निपटाए जाने की रफ्तार इस साल एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ समेत 34 जजों ने इस साल सुप्रीम कोर्ट में दर्ज किए गए 49,191 मामलों की तुलना में पूरे साल में 52,191 मामलों का निपटारा किया है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए 36,565 मामलों के मुकाबले 39,800 मामलों का निपटारा किया था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के 1 जनवरी से 15 दिसंबर तक उपलब्ध आंकड़ों से पता चला है कि लंबित मामलों को निपटाने की रफ्तार 2020 और 2021 के दो कोविड महामारी से प्रभावित वर्षों में घटकर महज 20,670 और 24,586 रह गई थी।
बहरहाल अब लंबित मामले निपटाने की रफ्तार में तेजी आ गई है। 2022 में 39,800 मामलों का निपटारा किया गया और 2023 में निपटाए गए मामलों की संख्या 52,191 दर्ज की गई। हालांकि इतनी तेजी से लंबित मामलों को निपटाए जाने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में लगभग 80,000 मामलों का लंबित होना सीजेआई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के लिए चुनौती बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को तेजी से निपटाने के लिए तथा कोविड से प्रभावित व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश 2022 में शुरू की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के क्रमश: तीन मुख्य न्यायाधीशों- एनवी रमना, यूयू ललित और चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान इसके लिए काफी प्रयास किए हैं। इसके परिणामस्वरूप 2022 में लंबित मामलों को निपटाए जाने की दर में पिछले साल की तुलना में 150 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई। हालांकि मामलों को दायर करने और सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के बीच के अंतर को कम करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों और एआई का उपयोग करने के लिए सीजेआई चंद्रचूड़ ने आधारभूत सुधार शुरू किए हैं। इसके अलावा पारंपरिक अदालतों को कागज रहित अदालतों में बदलने और मामलों की शीघ्र लिस्टिंग के लिए प्रतिदिन सैकड़ों ई-मेल पर ध्यान देने के कारण हालात में एक बड़ा बदलाव आया।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में से एक टेक्नोलॉजी का उपयोग था। सुप्रीम कोर्ट ने दक्षता बढ़ाने और प्रक्रिया में देरी को कम करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और आधुनिक केस मैनेजमेंट सिस्टम्स को अपनाया। ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई और डिजिटल रिकॉर्ड रखे जाने से तेज और अधिक सुलभ न्याय प्रणाली को सुविधाजनक बनाने में मदद मिली। 2021 में प्रति जज प्रति माह केस निपटान केवल 60 था, जो 2022 में बढ़कर 98 और इस साल 128 हो गया। 2023 में सुप्रीम कोर्ट के हर जज की केस निपटाने की दर 4,349 मामले है जो 21 हाईकोर्ट में प्रति जज लगभग 1,400 मामलों के सालाना औसत निपटान से काफी अधिक है।