ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत ने व्यापक उपयोग वाला एक विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा कर लिया है जो दूसरे देशों के लिए भी अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में बदलाव लाने का सबक हो सकता है।
डिजिटल सार्वजनिक ढांचे के तहत विशिष्ट पहचान (आधार), यूपीआई और आधार-समर्थित भुगतान सेवा के साथ डिजिलॉकर एवं खाता एग्रिगेटर जैसे डेटा विनिमय की व्यवस्था शामिल है।
आईएमएफ के एक कार्य-पत्र में कहा गया है कि भारत में तीनों तरह के डिजिटल सार्वजनिक ढांचे मिलकर तमाम सार्वजनिक एवं निजी सेवाओं तक ऑनलाइन, कागज-रहित, नकदी-रहित और निजता को अहमियत देने वाली डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करते हैं। आईएमएफ के मुताबिक, इस ढांचे में किए गए निवेश के लाभ देशभर के लिए राहतकारी रहे हैं और इसने महामारी के दौर में भारत को खासी मदद पहुंचाई। आधार ने सरकारी खजाने से सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी राशि पहुंचाकर सरकारी धन की बर्बादी रोकी, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई और अधिक परिवारों तक पहुंच बनाने का एक जरिया बना।
भारत सरकार का अनुमान है कि मार्च, 2021 तक डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की वजह से सकल घरेलू उत्पाद के करीब 1.1 प्रतिशत व्यय की बचत हो पाई।
आईएमएफ कार्य-पत्र कहता है कि महामारी के शुरुआती दिनों में करीब 87 प्रतिशत परिवारों को कम-से-कम एक लाभ मिला था। इसके अलावा खाता एग्रिगेटर के जरिये वित्तीय सेवाओं तक पहुंच आसान होने से करीब 45 लाख लोगों एवं कंपनियों को भी लाभ पहुंचा है। इसके मुताबिक, डिजिटलीकरण की प्रक्रिया ने अर्थव्यवस्था संगठित बनाने में मदद की है। जुलाई, 2017 से लेकर मार्च, 2022 के दौरान करीब 88 लाख नए करदाताओं के पंजीकृत होने से सरकारी राजस्व में भी वृद्धि हुई। तमाम खूबियों के बावजूद आईएमएफ का कार्य-पत्र भारत में डेटा सुरक्षा के बारे में एक समग्र कानून के अभाव का जिक्र करते हुए कहता है कि नागरिकों की निजता के संरक्षण और डेटा सेंधमारी की स्थिति में सरकार एवं कंपनियों को जवाबदेह ठहराने वाली एक सशक्त डेटा संरक्षण व्यवस्था जरूरी है।