ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत सरकार का दिसंबर में तैयार होने वाला हाथी आकलन पूरी दुनिया में अनोखा होगा। इसमें सभी हाथियों की गणना के साथ उनकी विशिष्ट पहचान भी होगी। यह बिलकुल मनुष्यों की तरह ही बेहतरीन यूनिक आईडी सिस्टम यानी आधार कार्ड से लैस होंगे।
भारत में किसी बड़े जानवर को बेहतर यूनिक आईडी कार्ड देने की यह पहली कोशिश है। इसके तहत देश में 300 हाथियों का आधार उन्हें आवंटित किया जा चुका है। इससे हाथी का संरक्षण होगा और दुरुपयोग रुकेगा। देश में पालतू और जंगली हाथियों का पुख्ता डाटाबेस तैयार हो जाएगा। इसमें उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां इसी साल अप्रैल में ही पालतू हाथियों को शत प्रतिशत आधार समेत विशेष माइक्रोचिप से लैस किया गया है, ताकि इस शर्मीले पशु की पहचान के साथ उसका दुरुपयोग रोका जा सके।
डीएनए मैपिंग पर आधारित हाथियों की सुरक्षा
इस बार बाघ संख्या आकलन की तर्ज पर हाथियों की संख्या का भी आकलन नई और पुरानी पद्धतियों को मिलाकर तैयार किया जा रहा है। इसमें पहले केवल कैमरे से फोटो लेकर उनकी संख्या का अनुमान लगाया जाता था। अब डीएनए मैपिंग में हाथियों के पैरों की छाप और चेहरे के आकार के साथ उनके खून और लीद का सैंपल लिया जाता है। साथ ही हाथियों के झुंड की तस्वीर निकाली जाती है। सभी पैरामीटर को संकलित करके यूनिक आईडी को तैयार किया जा रहा है।
देश में 27,312 हाथी
2017-18 की गणना के मुताबिक देश में 27,312 हाथी थे, जिनकी संख्या इस साल बाघ आकलन के साथ आए नतीजों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई। संरक्षण के प्रयासों के चलते महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए ठिकानों पर भी हाथियों ने अपनी आमद दर्ज कराई है।