ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आने वाला है। ये बदलाव ऐसा होगा, जिससे विश्वविद्यालयों को साल में दो बार एडमिशन लेने की अनुमित होगी। यानी स्टूडेंट्स के पास एक ही एकेडेमिक सेशन में दो बार एडमिशन लेने का मौका होगा। इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव की घोषणा की है। इसके तहत भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) को शैक्षणिक सत्र 2024-25 से साल में दो बार छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति होगी।
यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर मामिडाला जगदीश कुमार ने ये बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य भारतीय यूनिवर्सिटी को अंतर्राष्ट्रीय सिस्टम के साथ जोड़ना और लचीलापन बढ़ाना है।
कब-कब होंगे एडमिशन
वर्तमान में भारतीय हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट जुलाई-अगस्त में शुरू होने और मई-जून में समाप्त होने वाले एक शैक्षणिक सत्र के नियम का पालन करते हैं। साल में केवल एक बार दाखिले की प्रक्रिया होती है। नई नीति के तहत, जनवरी-फरवरी में भी कालेजों में दाखिले होंगे। उसके बाद जुलाई-अगस्त में। यानी साल में दो एडमिशन साइकिल।
प्राइमरी एडमिशन विंडो से चूकने वाले छात्र होंगे लाभान्वित
यूजीसी चेयरमैन ने बताया कि यह कदम उन छात्रों को लाभान्वित करने के लिए बनाया गया है जो बोर्ड एग्जाम रिजल्ट में देरी, स्वास्थ्य समस्याओं या व्यक्तिगत कारणों से प्राइमरी एडमिशन विंडो से चूक जाते हैं।
ओपेन एवं डिस्टेंस कोर्स से प्रेरित कदम
यह नीति ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) और ऑनलाइन मोड में बाइएनुअल एडमिशन की सफलता से प्रेरित थी, जिसे यूजीसी ने अपनी 571वीं बैठक में अनुमति दी थी। यूजीसी डीईबी पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, इन तरीकों से करीब 5 लाख ज्यादा दाखिले हुए। यह इस दृष्टिकोण के प्रति छात्रों की मजबूत रुचि और व्यावहारिकता बताता है। इस सकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए, यूजीसी ने इस नीति को रेगुलर कोर्सेस तक बढ़ा दिया।
संसाधनों का अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में मिलेगी मदद
प्रोफेसर कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि द्विवार्षिक प्रवेश से एचईआई को अपने संसाधनों का अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। साल में दो बार संकाय, प्रयोगशाला, कक्षा और सहायता सेवा उपयोग की योजना बनाने की क्षमता के साथ विश्वविद्यालय का संचालन आसान हो सकेगा। यह प्रणाली पहले से ही कई इंटरनेशनल कॉलेजों में लागू है। इसे अपनाने से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और इंटरनेशनल स्टूडेंट एक्सचेंज बढ़ सकता है, जिससे भारत की वैश्विक शैक्षिक प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा।
एचईआई के लिए बाई-एनुअल एडमिशन अनिवार्य नहीं
हालांकि यूजीसी चेयरमैन ने जोर देकर कहा कि एचईआई के लिए बाई-एनुअल एडमिशन अनिवार्य नहीं होगा। इसके अलावा, संस्थानों को साल में दो बार प्रवेश की सुविधा के लिए अपने संस्थागत नियमों में संशोधन करना होगा।