ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत की रियल टाइम भुगतान प्रणाली यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी है। इसकी कामयाबी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि भारत डिजिटल भुगतान के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर पहुंच गया है। इससे भी ज्यादा दिलचस्प करने वाला तथ्य यह है कि भारत के अलावा इस मामले में दुनिया के जो शीर्ष चार देश हैं, उन सबको साथ मिला दें, तब भी भारत आगे है। 2022 में भारत में 89.5 अरब डिजिटल भुगतान किए गए। भारत के बाद दूसरे स्थान पर ब्राजील है, जहां 29.2 अरब डिजिटल भुगतान किए गए।
रुतबा बढ़ा रहे डिजिटल प्लेटफॉर्म
तकनीक हो या कूटनीति, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ग्लोबल पावर बनकर उभरा है। मशहूर अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘द इकोनोमिस्ट’ के मुताबिक, बीते एक दशक में भारत में सार्वजनिक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) बेहद मजबूत बना है, जिसने अलग-अलग स्तरों पर भारतीय लोगों के जीवन को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। ये प्लेटफॉर्म अब भारत की अर्थव्यवस्था और राज व्यवस्था के अहम घटक बन गए हैं। डीपीआई के तहत ही आज करोड़ों भारतीयों तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) हो रहा है। इससे बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार पर प्रभावी रोक लगी है।
तीन आधार स्तंभ
भारत में डीपीआई के तीन प्रमुख आधार स्तंभ हैं, पहचान, भुगतान और डाटा प्रबंधन। इसकी शुरुआत आधार के साथ हुई। 2010 में यूपीए-2 के दौरान प्रयोग के तौर पर शुरू हुई यह परियोजना, आज 1.4 अरब भारतीयों की पहचान का सबसे अहम दस्तावेज बन गया है।
इसके बाद आता है यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), जो भुगतान को एक टैक्स मैसेज भेजना या क्यूआर कोड स्कैन करने जितना आसान बनाता है।
तीसरा स्तंभ डाटा मैनेजमेंट है। इसके लिए 12 अंकों के आधार का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे डिजिलॉकर का पिटारा खुलता है, जिसमें बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर, वाहन के बीमा तक दस्तावेज मौजूद रहते हैं।