ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। रामनवमी पर पश्चिम बंगाल में अलग-अलग स्थानों पर हिंसा और बम ब्लास्ट के मामले में बंगाल सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धमाकों की जांच एनआईए ही करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा है। बंगाल सरकार की एनआईए जांच के खिलाफ याचिका खारिज हो गई। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये अदालत आरोपों की वैधता और सत्यता तय करने के लिए नहीं है। हम इस मामले में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं।
बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने एनआईए जांच का आदेश दिया था। इसे पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 30 मार्च से 3 अप्रैल के बीच कुल 4 पुलिस स्टेशनों पर 6 एफआईआर दर्ज की गई थीं।
तुषार मेहता ने की पैरवी
सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने एनआईए की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए।
डाक्यूमेंट्स नहीं दिए
हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी राज्य सरकार ने एनआईए को अभी भी डाक्यूमेंट्स नहीं मुहैया कराए हैं। बंगाल सरकार की तरफ से वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि ये आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम किसी को बचा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी हर समुदाय के हैं। सीजेआई ने कहा कि क्या इस बात से इनकार किया जा सकता है कि वहां विस्फोटकों के इस्तेमाल का आरोप है?
बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि कोर्ट को ये देखना चाहिए कि अगर वो विस्फोटक थे तो कितने लोग उससे घायल हुए। दरअसल वो स्मॉग बम थे। राज्य के अधिकारियों की जांच पर भरोसा न करना दुर्भाग्यपूर्ण है। बंगाल सरकार के वकील ने कहा कि रामनवमी जुलूस के दौरान चार दिनों में 6 घटनाएं हुईं, हाईकोर्ट ने एक एफआईआर में जांच के आदेश दिए लेकिन एनआईए ने कुल 6 एफआईआर की जांच करने की बात अपने नोटिफिकेशन में कही।