संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। भारत में श्रम के मामले में नारी शक्ति ने एक नया मुकाम हासिल कर लिया है। एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि महिला श्रम बल भागीदारी दर (एफएलएफपीआर) वर्ष 2022-23 में बढ़कर 37 फीसदी पर पहुंच गई है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक नारी शक्ति को इस ऊंचाई पर पहुंचाने में सरकार की नीतिगत पहलों का बड़ा योगदान रहा है।
बयान के मुताबिक सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने आवधिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में श्रम बल भागीदारी मापने के सामान्य स्थिति सिद्धांत के आधार पर बताया है कि देश में महिला श्रम बल भागीदारी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
मंत्रालय की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक महिला श्रम बल भागीदारी दर 2018-19 में 24.5 फीसदी रही जो 2017-18 में 23.3 फीसदी थी। वहीं, वर्ष 2019-20 में यह दर 30 फीसदी रही और 2020-21 में बढ़कर 32.5 फीसदी पर पहुंच गई। 2021-22 में एफएलएफपीआर 32.8 प्रतिशत रही थी और 2023 में 4.2 फीसदी बढ़कर 37.0 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
विकास एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक यह वृद्धि महिलाओं के दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास के उद्देश्य से की गई नीतिगत पहलों व महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के सरकार के निर्णायक कार्यक्रम का परिणाम है। सरकार की पहल महिला जीवन के हर पहलू से जुड़ी हैं, जिसमें लड़कियों की शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता सुविधा और कार्यस्थल पर सुरक्षा आदि शामिल हैं। इन क्षेत्रों में नीतियां और कानून सरकार के महिला-नेतृत्व वाले विकास एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।