साजी चाको
नई दिल्ली। यह भारतीय महिला मुक्केबाज हाल ही में 26 मार्च को दिल्ली के केडी जादव स्टेडियम में संपन्न हुई विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में देश की शान बनीं। भारतीय महिलाओं ने इतिहास रचा जब उन्होंने समग्र चैंपियन बनने के लिए स्वर्ण पदक जीते।
विश्व खिताब जीतने वाली चार स्वर्ण विजेता खिलाड़ियों में से निस्संदेह सबसे प्रभावशाली नीतू घनघस रहीं। भिवानी की 22 वर्षीय तेज तर्रार बाॅक्सर ने मंगोलिया की लुत्साइखान को हराकर न्यूनतम वजन वर्ग में खुद को गौरव का ताज पहनाया। वैसे, बॉक्सिंग रिंग के बाहर नीतू को अनेक कठिनाइयों, परीक्षाओं से गुजरना पड़ा है लेकिन मानसिक और वित्तीय दोनों तरह की दिक्कतों से मुकाबले के लिए उनके परिवार ने हर कदम पर उनका साथ दिया। उनके पिता जय भगवान, जो हरियाणा विधानसभा के कर्मचारी हैं, विशेष प्रशंसा के पात्र हैं।
ब्लिट्ज इंडिया से बात करते हुए, नीतू ने कहा कि यह उनके पिता जय भगवान थे जिन्होंने उन्हें मुक्केबाजी में आगे बढ़ाया। मैं बचपन में काफी गुस्सैल हुआ करती थी और अपने दोस्तों के साथ लड़ाई-झगड़ा करना शुरू कर देती थी। ज्यादातर माता-पिता ऐसे शरारती बच्चों को डांटते और पीटते हैं, लेकिन मेरे पिता ने बिल्कुल अलग तरीका अपनाया। मेरे गुस्से को ठीक से चैनलाइज करने के लिए उन्होंने मुझे बॉक्सिंग से परिचित कराया। मैं वास्तव में इसके लिए उनकी ऋणी हूं, नीतू ने कहा। भले ही नीतू ने बॉक्सिंग को गंभीरता से लेना शुरू किया, लेकिन वह सब जूनियर स्तर पर ज्यादा प्रगति नहीं कर सकीं। उनके पास उचित तकनीक का अभाव था और कम ज्ञात विरोधियों से हार जाती थीं। उनमें हताशा घर कर गई थी। स्थिति यह आ गई कि वह मुक्केबाजी को छोड़ने तक की बात सोचने लगी थी। लेकिन यहीं उनके पिता जय भगवान ने निर्णायक भूमिका निभाई थी। उन्होंने हरियाणा विधानसभा से तीन साल की अवैतनिक छुट्टी ली और खेती शुरू की, इतना ही नहीं, इस नाजुक दौर में उन्होंने एक बहुत बड़ा जोखिम लिया।
नीतू ने बताया, मेरे विशेष प्रशिक्षण के खर्च के लिए उन्होंने 20 लाख रुपये का ऋण लिया, यह एक बड़ी राशि थी जिसके लिए उन्होंने अपनी सारी संपत्ति गिरवी रख दी। नीता ने अपनी आंखों में आंसू के साथ यह बात बताई। जय भगवान ने ऐसा करने से पहले दो बार नहीं सोचा। अपने पिता के त्याग की सीमा को महसूस करते हुए, नीतू ने खेल को बहुत गंभीरता से लिया। “मैं अपने पिता को निराश नहीं कर सकती थी जिन्होंने मेरे लिए सब कुछ जोखिम में डाल दिया। मैं उनके भरोसे को सही साबित करना चाहती थी जो उन्होंने मुझ में दिखाया था। मैंने बॉक्सिंग क्षेत्र में रोजाना करीब आठ घंटे अभ्यास करना शुरू किया। सौभाग्य से भिवानी बॉक्सिंग क्लब के संस्थापक प्रसिद्ध बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह ने एक मुकाबले के दौरान उनका खेल देखा और खामियां गिनाई तथा सुधार के टिप्स दिए। मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं कि मैं जगदीश सर के साथ सही समय पर जुड़ गई। मैं तब 15 साल की थी और अपने पिता के दुपहिया वाहन से 40 किलोमीटर की दूरी तय करती थी, जो मेरे घर और बॉक्सिंग क्लब के बीच की दूरी है। इसके बाद नीतू ने राज्य स्तर और राष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतने शुरू कर दिए। बड़ा क्षण 2022 में आया, जब उन्होंने यूके में राष्ट्रमंडल खेलों में न्यूनतम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। नीतू ने कहा, उस स्वर्ण पदक ने मुझे अहसास कराया कि मुझमें विश्व विजेता बनने की प्रतिभा है।