गुलशन वर्मा
नई दिल्ली। भारत की नारी शक्ति बेमिसाल है, वह सक्षम है, सबल है। ‘प्रचंड पंच’ के बूते प्रतिद्वंद्वी को पस्त करके एक साथ चार महिला बाॅक्सरों ने `विश्व चैंपियन बन कर दुनिया में देश का डंका बजा दिया। अवसर था विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप। भारत ने चार स्वर्ण पदक जीते। इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में इस टूर्नामेंट में भारतीय महिला मुक्केबाजों ने स्वर्णिम अध्याय रचा। देश की आजादी के अमृत काल वर्ष में भारत की नारी शक्ति ने धमाल मचा दिया। जांबाज महिला मुक्केबाजों ने 48, 50, 75 और 81 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किए। इसकी शुरुआत नीतू घनघस ने 45-48 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर की। इसके बाद मुक्केबाजों के गोल्डन पंच ने भारत को तालिका में शीर्ष पर पहुंचा दिया। चीन दूसरे स्थान पर रहा। पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वर्ण पदक जीतने वाली मुक्केबाजों को बधाई दी है।
– पीएम मोदी ने दी स्वर्ण विजेता मुक्केबाजों को बधाई
2006 का इतिहास दोहराया
17 साल में यह दूसरा मौका है जब भारत ने इस टूर्नामेंट में चार स्वर्ण पदक जीते हैं। 2006 में एमसी मैरी कॉम, सरिता देवी, जेनी आरएल और लेखा केसी ने भारत के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किए थे।
दूसरी बार विश्व चैंपियन बनी निखत
निखत जरीन ने 50 किग्रा वर्ग के शिखर मुकाबले में वियतनाम की गुयेन थी टैम को हराकर अपने नाम दूसरा विश्व चैंपियनशिप खिताब किया। उन्होंने घरेलू दर्शकों के सामने लाइट फ्लाईवेट खिताब हासिल करने के लिए दो बार की एशियाई चैंपियन गुयेन थी टैम को 5-0 के अंतर से मात दी। इस जीत के साथ निखत जरीन दो बार प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का खिताब जीतने वाली दिग्गज एमसी मैरी कॉम के बाद दूसरी भारतीय बन गई हैं। मैरी काॅम छह बार (2002, 2005, 2006, 2008, 2010, 2018) विश्व चैम्पियन रही हैं।
अन्य का भी बेहतरीन प्रदर्शन
भारत को चार पदकों के साथ अंक तालिका में शीर्ष पर लाने में अन्य मुक्केबाजों का भी बेहतरीन प्रदर्शन रहा। टोक्यो ओलंपिक मुक्केबाजी पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन ने 75 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन पार्कर को हराकर स्वर्ण पदक जीता। यह विश्व चैंपियनशिप में लवलीना बोरगोहेन का पहला स्वर्ण पदक है। इससे पहले नीतू घनघस (48 किग्रा) और अनुभवी स्वीटी बूरा (81 किग्रा) ने टूर्नामेंट में जीत हासिल कर विश्व चैंपियन का ताज पहना।
इस तरह चला स्वर्ण का सिलसिला
नीतू घनघस ने 45 से 48 किलोग्राम भारवर्ग में मंगोलियाई मुक्केबाज को हराकर भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। नीतू ने मंगोलिया की लुत्साइखान को मात दी। यह मुकाबला काफी रोमांचक था और दर्शकों के लिए आखिरी तक विजेता का अंदाजा लगाना मुश्किल था। मैच के नतीजे का एलान होने से पहले तक दोनों खिलाड़ी जीत का जश्न मनाने के लिए तैयार दिख रही थीं, लेकिन भारतीय मुक्केबाज ने जीत हासिल की और मंगोलिया की मुक्केबाज को निराशा हाथ लगी।
स्वीटी बूरा ने दूसरा स्वर्ण दिलाया
स्वीटी बूरा ने चीन की लिना वोंग को हराया। पूरे मैच के दौरान दोनों खिलाड़ियों के बीच कांटे की टक्कर रही। शुरुआती दो राउंड में स्वीटी ने 3-2 की बढ़त बनाई थी। ऐसे में तीसरे राउंड के बाद फैसला रिव्यू के लिए गया। यहां पर भी स्वीटी के पक्ष में नतीजा आया और भारत को प्रतियोगिता में दूसरा स्वर्ण पदक मिल गया।
निखत जरीन का कमाल
निखत जरीन ने वियतनाम की न्यूगेन थी ताम को फाइनल में मात दी। फाइनल मैच में निखत ने शुरुआत से ही शानदार प्रदर्शन किया। पहले राउंड में उन्होंने 5-0 की बढ़त बना ली थी। इसके बाद दूसरे राउंड में भी उन्होंने बढ़त जारी रखी। तीसरे राउंड में उन्होंने वियतनाम की मुक्केबाज को शानदार पंच जड़ा। इसके बाद रेफरी ने मैच रोककर वियतनाम की मुक्केबाज का हाल-चाल जाना। यहीं से निखत की जीत तय हो गई थी। उन्होंने यह मुकाबला 5-0 के अंतर से अपने नाम किया और लगातार दूसरी बार महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीत ली। इस तरह भारत के स्वर्ण पदकों की संख्या तीन हो गई।
लवलीना ने दिलाया चौथा स्वर्ण
अंतिम दिन लवलीना बोरगोहेन ने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की मुक्केबाज कैटलिन एन पार्कर को मात दी। दोनों खिलाड़ियों के बीच कांटे की टक्कर थी। पहला राउंड लवलीना ने 3-2 के अंतर से अपने नाम किया। वहीं, दूसरा राउंड ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने जीता। तीसरे और आखिरी राउंड में दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही और मैच का नतीजा रिव्यू के लिए गया। सभी जज ने मिलकर लवलीना को विजेता घोषित किया।
भारत में तीसरी बार आयोजन
2006 और 2018 के बाद तीसरी बार इस प्रतियोगिता का आयोजन भारत में हुआ। इसके साथ ही भारत सबसे अधिक बार इस प्रतियोगिता की मेजबानी करने वाला देश बन गया है। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ (आईबीए) के अध्यक्ष उमर क्रेमलेव ने टूर्नामेंट की शुरुआत के पहले कहा था कि भारत महिला मुक्केबाजी की राजधानी बन गया है। उल्लेखनीय है कि इस बार इस विश्व चैम्पियनशिप में 74 देशों की 350 से अधिक महिला मुक्केबाज शामिल हुईं जोकि एक रिकॉर्ड है। आम तौर पर 250 से 260 महिला मुक्केबाज पूर्ववर्ती विश्व चैम्पियनशिप में शामिल होती रही हैं।