ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली । भारतीय सेना ने शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में सैनिक परिवारों के विकास के लिए मेधावी कौशल विश्वविद्यालय सिक्कि म के साथ एक समझौता किया है ताकि उनके परिजन भी इस क्षेत्र में सफलता के नए शिखर हासिल कर सकें और आरक्षित सीटों के साथ उन्हें शुल्क में रियायत के अवसर भी मिल सकें।
यहां साउथ ब्लॉक में आयोजित एक समारोह में हुए एमओयू के तहत मेधावी स्किल्स यूनिवर्सिटी; सेवारत, मृत और सेवानिवृत्त सेना के बच्चों और जीवनसाथियों के लिए अपने कौशल-आधारित स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रमों में सीटें निर्धारित करेगी और विशेष शुल्क रियायतें भी प्रदान करेगी।
एमएसयू इन लाभार्थियों को राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं में उनके अंकों के आधार पर अतिरिक्त रियायतों के साथ ट्यूशन फीस और छात्रावास आवास शुल्क में कटौती प्रदान करेगा। मेजर जनरल रवींद्र सिंह और एमएसयू के सह-संस्थापक और प्रो-चांसलर कुलदीप सरमा ने भारतीय सेना के एडजुटेंट जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल सीबी पोनप्पा की उपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर किए। एमएसयू भारतीय सेना के साथ सहयोग करने वाला भारत का पहला कौशल विकास विश्वविद्यालय बन गया है। इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित सैन्य कर्मियों और एमएसयू के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कुलदीप सरमा ने कहा, एमएसयू भारत को कौशल प्रदान करने की अपनी यात्रा में रक्षा बलों को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है।
हम उन लोगों के परिवारों के लिए सीखने, विकास और रोजगार क्षमता को बढ़ाने के लिए समर्पित हैं जो हमारे देश की इतनी बहादुरी से सेवा करते हैं। भारतीय सेना प्रमुख मनाेज पांडे का संदेश भी इस अवसर पर पढ़ा गया जिसमें कहा गया है कि मेधावी स्किल्स यूनिवर्सिटी के साथ यह साझेदारी हमारे सेना कर्मियों के परिवारों को सशक्त बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। देश की सुरक्षा के लिए इतना बलिदान देने वाले परिवारों की शैक्षिक और व्यावसायिक आकांक्षाओं का समर्थन करना हमारा कर्तव्य है।
एमएसयू की पहल भारतीय सेना के विशाल बलिदानों और सेवा के लिए एक श्रद्धांजलि है और इसका उद्देश्य उन्नत शैक्षिक और कौशल अवसरों के माध्यम से भारत के नायकों के परिवारों को सशक्त बनाना है।