लखनऊ। देशभर की अदालतों में पेंडिंग केसों को लेकर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में जवाब दिया। कानून मंत्री के लिखित जवाब के अनुसार, भारत की विभिन्न अदालतों में पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से सबसे अधिक उत्तर प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में पेंडिंग हैं। इस राज्य की अदालतों 1.18 करोड़ से अधिक केस लंबित पड़े हैं।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में 84,045 मामले लंबित हैं, जबकि विभिन्न उच्च न्यायालयों में 60,11,678 मामलों का निपटारा बाकी है। कानून मंत्री के अनुसार, जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में सबसे अधिक 4,53,51,913 मामले लंबित हैं। बकौल अर्जुन राम मेघवाल, अदालतों में मामलों के लंबित रहने के कई कारण हैं, जिनमें फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और कर्मचारियों की कम उपलब्धता, शामिल तथ्यों की जटिलता, जांच एजेंसियों, गवाहों और वादियों सहित हितधारकों का असहयोग शामिल है। नियमों और प्रक्रियाओं का उचित अनुप्रयोग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
– विभिन्न उच्च न्यायालयों में 60,11,678 केस पेंडिंग
– जिला व अधीनस्थ न्यायालयों में चल रहे 4,53,51,913 मामले
– सात लाख मामलों में पक्षकार है केंद्र सरकार
कानून मंत्री ने आगे कहा कि मामलों के निपटान में देरी के अन्य कारणों में विभिन्न प्रकार के मामलों के निपटान के लिए अदालतों द्वारा निर्धारित समय-सीमा का अभाव, बार-बार स्थगन तथा मामलों की निगरानी, ट्रैक और सुनवाई के लिए उन्हें समूहबद्ध करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था का अभाव भी शामिल है।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में कहा कि केंद्र सरकार करीब सात लाख अदालती मामलों में पक्षकार है, जिसमें रक्षा और वित्त मंत्रालय सबसे ऊपर है। मेघवाल ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि कुल 6,98,904 ऐसे मामले अदालतों में लंबित हैं, जिनमें विभिन्न मंत्रालय और विभाग पक्षकार हैं।