नई दिल्ली। चंद्रमा अपना आकार बदल रहा है और वह धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है, क्या आप इस बात पर विश्वास करेंगे? एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस खुलासे से वैज्ञानिक भी हैरान हैं। रिपोर्ट सामने आने के बाद अब यह चंद्रमा पर जाने वाले मिशनों के लिए खतरे की घंटी की तरह है क्योंकि शोधकर्ताओं ने साफ कहा है कि चंद्रमा के सिकुड़ने का कारण भूकंप और बढ़ते हुए फाल्ट्स हैं। इन सभी भूकंपों का केंद्र नासा के आर्टिमस अभियान की लैंडिंग वाले चंद्रमा के इलाके हैं।
नासा के लिए बड़ी मुसीबत
सवाल यह है कि वैज्ञानिक यह दावा किस आधार पर कर रहे हैं कि चांद का साइज कम हो रहा है। आपको बता दें कि चंद्रमा के सिकुड़ने का कारण दक्षिणी ध्रुवों पर आए भूकंप और फॉल्ट लाइन हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि नासा ने अपने आर्टेमिस मिशन की लैंडिंग के लिए इसी इलाके को चुना है। यह लैंडिंग साल 2026 में होने की संभावना है।
आखिर चांद कैसे रहा है सिकुड़
प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में, वाशिंगटन में स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट के टॉम वाटर्स का कहना है कि उनके मॉडलिंग से पता चलता है कि छोटे भूकंप चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्रों को हिला रहे हैं और पुराने दोष, यानी टूटी हुई जमीन को और भी बड़ा बना रहे हैं। साथ ही ये नये फॉल्ट्स भी क्रिएट कर रहे हैं। ऐसी घटना का मतलब है कि चंद्रमा सिकुड़ रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे फॉल्ट्स चंद्रमा पर हर जगह फैले हुए हैं और एक्टिव हो सकते हैं।
– नए खुलासे से वैज्ञानिक भी हैरान, नासा के लिए बड़ी मुसीबत
वैज्ञानिकों के लिए अहम चुनौती
इससे तो स्पष्ट है कि अब चांद पर स्थायी कैंप या बेस बनाने की कोशिशों के लिए इन बातों का खासतौर पर ध्यान रखना होगा। नासा के आर्टेमिस मिशन के लिए इस प्रकार की फॉल्ट लाइन निर्धारित करनी होगी और उसी के अनुसार लैंडिंग करनी होगी। संभव है कि आखिरी वक्त पर लैंडिंग के लिए नई जगह की जरूरत पड़े, इसके लिए पहले से ही तैयारी करनी होगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से फॉल्ट लाइनें सामने आई हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।