ब्लिट्ज ब्यूरो
पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में भारतीय सेना के एक जवान की जबरिया शादी (पकड़ौआ विवाह) को रद्द कर दिया है। सेना के जवान का 10 साल पहले अपहरण कर लिया गया था। बंदूक की नोक पर उसकी शादी कराई गई। नवादा जिले के रहने वाले सेना के जवान रविकांत को 30 जून 2013 को दुल्हन के परिवार ने उस समय अगवा कर लिया था जब वह लखीसराय के एक मंदिर में पूजा-अर्चना करने गया था। रविकांत को ‘पकड़ौआ विवाह’ के लिए अगवा किया गया था। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। साथ ही कहा कि दुल्हन यह साबित करने में विफल रही कि दूल्हा और दुल्हन ने सात फेरे लिए थे। कोर्ट ने यह भी माना कि 2020 मं फैमिली कोर्ट के निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण थे। गवाही के दौरान पुजारी उस स्थान के बारे में बताने में भी सक्षम नहीं था, जहां विवाह संस्कार पूर्ण हुआ था। पुजारी को तो विवाह स्थल तक के बारे में पता नहीं। कथित विवाह कानून की नजर में गलत है।
कोर्ट ने स्पष्ट दिया निर्देश
कोर्ट ने साफ किया कि बंदूक की नोक पर मांग में सिंदूर भरना मान्य नहीं होगा। ये हिन्दू कानून के तहत शादी नहीं है। जब तक दूल्हा और दुल्हन पवित्र अग्नि के सात फेरे नहीं लेते तब तक शादी वैध नहीं हो सकती। पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण कुमार झा और जस्टिस पीबी बजंथरी ने ऐतिहासिक फैसला दिया और शादी को अमान्य करार कर दिया। पटना हाई कोर्ट से फैसला आने के बाद ऐसे मामलों पर सीधा असर पड़ेगा।
पकड़ौआ विवाह’ है क्या?
‘पकड़ौआ विवाह’ में कुंवारे और नौकरीपेशा लड़के की जबरन शादी करा दी जाती है। इसकी शुरुआत कहां से हुई, कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। ज्यादातर ऐसे केस पटना जिले के हिस्से मोकामा, पंडारक, बाढ़, बख्तियारपुर में हुए।
एक समय में इसका सबसे ज्यादा चलन रहा। योग्य लड़कों का अपहरण करो और अपनी बेटी के साथ रिश्तेदार की बेटी से शादी करा दो। इसमें अपहरण के दौरान हथियार दिखाना और डराना-धमकाना भी शामिल होता है। बाद के दिनों में इसके लिए दबंगों से सहारा लिया जाने लगा। दबंगों ने इसे व्यवसाय के रूप में भी अपनाया। 10 हजार लेकर लड़के उठाते थे और शादी करवा देते थे। कई जगहों से अपहरण के बदले वसूली भी की।