ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित एक छोटा सा पर्यटन शहर हरिहरेश्वर तीन पहाड़ों हरिहरेश्वर, हर्शिनाचल और पुष्पाद्रि के बीच बसा हुआ है। इस शहर में सावित्री नदी अरब सागर से मिलती है। शहर के उत्तर में हरिहरेश्वर देवता का मंदिर स्थित है। यहीं पर भगवान शिव ने हरिहरेश्वर देवता को आशीर्वाद दिया था।
हरिहरेश्वर को महाराष्ट्र की काशी भी कहा जाता है जो पूरे भारत में अपने कोंकणी मंदिरों और खूबसूरत समुद्र तटों के लिए जाना जाता है। हरिहरेश्वर मंदिर के सामने 2.4 किलोमीटर लंबा समुद्र तट है। यह स्थान सह्याद्रि पर्वत के बीच में स्थित है। इस स्थान के नजारे यहां आने वाले पर्यटकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
खूबसूरत हरिहरेश्वर बीच
शांत प्राकृतिक जगह पसंद करने वाले पर्यटकों के लिए हरिहरेश्वर सबसे अच्छी जगह है। यहां के बीच कम भीड़भाड़ की वजह से पर्यटकों को पसंद आते हैं। यहां का सबसे बड़ा आकर्षण समुद्र के सामने बना हरिहरेश्वर देवता का मंदिर है। इस मंदिर के दोनों तरफ खूबसूरत समुद्री तट है। हरिहरेश्वर एक खूबसूरत प्राकृतिक जगह है और यहां का मौसम साल भर पर्यटकों के लिए अच्छा रहता है।
कालभैरव मंदिर : यह मंदिर महाराष्ट्र का सबसे पुराना शिव मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ सभी मंत्रों के स्वामी कालभैरव देवता की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव ने अपने विशेष मंत्रों से कालभैरव को आशीर्वाद दिया था। इस मंदिर की आकर्षक वास्तुकला को देखकर पर्यटक आश्चर्यचकित हो जाते हैं। मंदिर के परिसर में कुछ देर बैठने के दौरान समुद्र की ठंडी हवा का अहसास मन को एक नई ताजगी से भर देता है।
गणेश गली : यह आकर्षक स्थान हरिहरेश्वर मंदिर से मात्र 1 किमी की दूरी पर स्थित है। इस गणेश गली की चौड़ाई लगभग 3 फीट है जो एक संकरी गली की तरह दिखती है। ज्वार कम होने पर पर्यटक भगवान गणेश की मूर्ति के दर्शन करने के लिए दो चट्टानों के बीच बने रास्ते से नीचे जा सकते हैं। यह मूर्ति समुद्र में लगभग 30 फीट गहराई पर है और समुद्र के ज्वार के कम होने पर आसानी से देखा जा सकता है।
अलग ही अनुभव
पर्यटकों को यहां से समुद्र देखने का एक अलग ही अनुभव होता है। गणेश गली हरिहरेश्वर मंदिर के परिसर में ही स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। सुरक्षा कारणों से विकलांगों, बुजुर्गों और बच्चों को इस स्थान पर जाने की मनाही है।
दिवेगर बीच : दिवेगर बीच भी हरिहरेश्वर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो रायगढ़ जिले का हिस्सा है। इस जगह की प्राकृतिक खूबसूरती पर्यटकों को अपना दीवाना बना लेती है। यह जगह जंगल की हरियाली और समुद्र के नीले पानी के लिए मशहूर है। वहीं, यहां के बीच पर मौजूद सफेद रेत के छोटे-छोटे कण इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। समुद्र में सर्फिंग करने वालों के लिए यह जगह सबसे अच्छी है। इस जगह पर सूर्यास्त देखने का अपना ही मजा है।
श्रीवर्धन बीच : यह जगह भी हरिहरेश्वर पर्यटक स्थल के काफी नजदीक है। श्रीवर्धन बीच के पास पर्यटकों के देखने के लिए आस-पास कई मंदिर हैं। इनमें श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर है जो मराठा पेशवाओं की वजह से मशहूर हुआ। इसी मंदिर के नजदीक सुवर्ण गणेश मंदिर, हरिहरेश्वर मंदिर बने हुए हैं जिनका हिंदू धर्म में काफी महत्व है। यहां पर सोमजा देवी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर के बारे में स्थानीय लोगों की मान्यता है कि सोमजा
देवी सांप के काटने पर इंसान के शरीर से सारा जहर निकाल देती हैं। यहां श्रद्धालु पेट के बल रेंगते हुए सोमजा मंदिर की परिक्रमा लगाते हैं। इसके अलावा बीच पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए बोटिंग की सुविधा भी मौजूद है।
हरिहरेश्वर कैसे पहुंचें
सड़क मार्ग : हरिहरेश्वर मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर और पुणे से 170 किलोमीटर दूर है। मुंबई से हरिहरेश्वर तक एक अच्छा राजमार्ग है, इसलिए हरिहरेश्वर पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होती। मुंबई से यहां तक की दूरी पर्यटक अपने वाहन से तीन घंटे में तय कर सकते हैं।
रेलमार्ग : हरिहरेश्वर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कोंकण रेलवे का मानगांव है, जो हरिहरेश्वर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मानगांव से हरिहरेश्वर के लिए बसें, टैक्सी, ऑटो आसानी से उपलब्ध रहते हैं।
हवाई मार्ग : हरिहरेश्वर पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका मुंबई में छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो हरिहरेश्वर से लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे के बाहर से हरिहरेश्वर पहुंचने के लिए टैक्सियां आसानी से उपलब्ध रहती हैं। मुंबई में छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन से गोवा के लिए ट्रेनें आसानी से मिल जाती हैं।