नई दिल्ली। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है कि एससी/एसटी एक्ट के तहत कोई अपराध इसलिए स्वीकार नहीं कर लिया जाएगा कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति का है, बशर्ते यह साबित न हो जाए कि आरोपी ने सोच समझकर शिकायतकर्ता का उत्पीड़न उसकी जाति के कारण ही किया है। एससी, एसटी समुदाय के उत्पीड़न और उच्च जाति के लोगों के अधिकारों के संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी काफी क्रांतिकारी मानी जा रही है।
सूप्रीम कोर्ट ने कई और टिप्पणियां भी की हैं-
– शिकायतकर्ता के एससी, एसटी समुदाय से होने का मतलब नहीं कि उच्च जाति के व्यक्ति को अपराधी मान लिया जाए।
– जाति के कारण एससी/एसटी समुदाय के व्यक्ति की जान बूझकर प्रताड़ना नहीं हो तो एससी एसटी एक्ट लागू नहीं होगा।
– अगर चहार दिवारी /कमरे या घर के अंदर प्रताड़ित किया गया तो ऊंची जात के आरोपी पर एससी/एसटी एक्ट नहीं लगाया जाएगा।
– शिकायतकर्ता के एससी, एसटी समुदाय से होने का मतलब नहीं कि उच्च जाति के व्यक्ति को अपराधी मान लिया जाए।
– जाति के कारण एससी/एसटी समुदाय के व्यक्ति की जान बूझकर प्रताड़ना नहीं हो तो एससी एसटी एक्ट लागू नहीं होगा।
– अगर चहार दिवारी /कमरे या घर के अंदर प्रताड़ित किया गया तो ऊंची जात के आरोपी पर एससी/एसटी एक्ट नहीं लगाया जाएगा।