ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोकतंत्र की शुरुआत और अंत चुनाव से नहीं होता। सरकार के लोकतांत्रिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की अखंडता महत्वपूर्ण है। कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा, संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक ‘लोकतांत्रिक गणराज्य’ के रूप में बताया गया है। एक लोकतंत्र जिसमें नागरिकों को जाति और वर्ग के बावजूद राजनीतिक समानता की गारंटी दी जाती है। जहां हर वोट का मूल्य बराबर होता है। सीजेआई ने अपने फैसले में कहा, लोकतंत्र कायम है क्योंकि निवाचित लोग उन मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी होते हैं जो उन्हें उनके कार्यों और निष्क्रियताओं के लिए जवाबदेह ठहराते हैं। यदि निर्वाचित लोग जरूरतमंदों की बात पर ध्यान नहीं देंगे तो क्या हम लोकतंत्र बने रहेंगे?
सीजेआई ने कहा, हमारा सवाल है कि क्या निर्वाचित लोग वास्तव में मतदाताओं के प्रति उत्तरदायों होंगे, जबकि कंपनियां जो मोटा चंदा देती हैं
वे पार्टियों के साथ परस्पर लाभ की व्यवस्था में शामिल हों। अगर उन्हें असीमित मात्रा में चंदा देने की अनुमति दी जाती है तो क्या होगा। पीठ ने कहा कि कंपनियों के चंदे का कारण दिन के उजाले जैसा स्पष्ट था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी केंद्र की ओर से तर्क देने के दौरान इस बात से इन्कार नहीं किया कि कॉर्पोरेट दान के बदले में लाभ देने की व्यवस्था है।