ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह अतिरिक्त पोषक तत्वों से युक्त चावल के संबंध में खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम, 2018 के एक प्रावधान के अनुपालन के लिए उठाये गये कदमों से उसे अवगत कराए।
इस प्रावधान के अनुसार, अतिरिक्त पोषक तत्वों से युक्त चावल (फोर्टिफाइड चावल) के थैलों पर चेतावनी होनी चाहिए कि सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों के लिए यह नुकसानदेह है। न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने केंद्र सरकार को चार हफ्तों के अंदर एक हलफनामा दाखिल करने और अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी देने को कहा। पीठ ने कहा, ‘‘भारत संघ की ओर से पेश हुए वकील यह निर्देश प्राप्त करें कि मौजूदा याचिका में शिकायत के विषय के संबंध में क्या कदम उठाये गये हैं और क्या याचिकाकर्ता द्वारा दिये गये प्रतिवेदन पर कोई कार्रवाई की गई है।’’ पीठ राजेश कृष्णन नाम के व्यक्ति और अन्य द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम,2018 के प्रावधान 7(4) का अनुपालन कराने का अनुरोध किया था, ताकि अतिरिक्त पोषक तत्वों से युक्त चावल की बोरियों पर अनिवार्य सूचना अंकित की जाए।
प्रावधान के मुताबिक सूक्ष्म पोषक तत्व आयरन (लोहे) से युक्त खाद्यान्न के प्रत्येक पैकेट पर यह कथन होना चाहिए, ‘थैलेसीमिया से पीड़ित लोग चिकित्सकीय देखरेख में इसका उपभोग कर सकते हैं और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्तियों को आयरन-फोर्टिफाइड खाद्य उत्पाद नहीं खाने की सलाह दी जाती है।’ फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया के जरिये लोहा, आयोडिन, जिंक और विटामिन ए एवं डी जैसे मुख्य पोषक तत्व तथा खनिज, चावल, दूध व नमक जैसे खाद्य पदार्थों में डाले जाते हैं ताकि उनसे बेहतर पोषण मिल सके।