सिंधु झा
अधिकाधिक सरकारी निवेश और विकास से जुड़ी पहलों की सहायता से भारत अपने बुनियादी ढांचे का जबरदस्त उन्नयन कर रहा है। सड़क, रेलवे, विमानन और जलमार्ग सहित भारत के परिवहन नेटवर्क में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और इसका देश के आर्थिक विकास पर व्यापक प्रभाव हो रहा है।
बुनियादी ढांचे के विकास के इन प्रयासों का उद्देश्य कनेक्टिविटी को बढ़ाना, लॉजिस्टिक्स संबंधी लागत को कम करना और भारत को एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनाना है। मल्टी-मॉडल बुनियादी ढांचे के विकास हेतु महत्वाकांक्षी पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टरप्लान से प्रेरित नई सड़कें व रेलवे भारत को वर्तमान में 3.74 खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था (आईएमएफ, 2023) से आगे बढ़कर 5 खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की अपनी महत्वाकांक्षा को साकार करने में मदद करेंगे।
सड़कों के नेटवर्क में सुधार
कुल 6.37 मिलियन किलोमीटर से अधिक लंबाई वाली सड़कों के साथ भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क बन चुका है। हाल के वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति में काफी तेजी आई है और यह 2014-15 में औसतन 12 किलोमीटर प्रति दिन से बढ़कर 2021-22 में लगभग 29 किलोमीटर प्रति दिन हो गई है।
सड़कों से संबंधित बुनियादी ढांचे के लिए सरकार का बजटीय समर्थन तेजी से बढ़ा है, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अटल सुरंग, ढोला-सदिया पुल और चिनाब नदी पुल जैसी रणनीतिक परियोजनाओं को युद्धस्तर पर पूरा करना सरकार के समावेशी शासन और देश के सबसे दूर-दराज व दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के प्रति उसकी वचनबद्धता का प्रमाण है।
रेलवे में क्रांतिकारी बदलाव
भारतीय रेलवे का पर्याप्त आधुनिकीकरण और विस्तार हुआ है। पिछले चार वर्षों के दौरान रेलवे के बुनियादी ढांचे पर होने वाले पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि हुई है। भारतीय रेलवे को शून्य दुर्घटना का लक्ष्य हासिल करने में मदद करने के उद्देश्य से डिज़ाइन की गई एक अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली कवच का सफल परीक्षण किया गया। स्वदेशी तरीके से डिज़ाइन की गई वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरूआत और इसके क्रमिक विस्तार से उच्च गति वाली रेल यात्रा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का पता चलता है।
जापान के सहयोग से मुंबई और अहमदाबाद के बीच चल रहे हाई-स्पीड लाइन के निर्माण और माल ढुलाई हेतु नए गलियारों के विकास से कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा, यात्रा में लगने वाला समय कम होगा और कुशलता के साथ माल व यात्रियों की आवाजाही की सुविधा हासिल होगी।
जलमार्गों का दोहन
अंतर्देशीय जल परिवहन पर सरकार के ध्यान के कारण 111 राष्ट्रीय जलमार्गों की घोषणा हुई है। वित्तीय वर्ष 2022 के दौरान इन जलमार्गों के रास्ते सामानों (कार्गो) की आवाजाही 108.8 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 30.1 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है। इसके अलावा सागरमाला परियोजना का लक्ष्य बंदरगाहों को विकसित करना, अनुपालनों को सुव्यवस्थित करना और जहाज के लौटने (टर्नअराउंड) में लगने वाले समय को कम करना है।
बुनियादी ढांचे के विकास ने श्रमिकों को कृषि से हटाकर अधिक उत्पादक नौकरियों की ओर ले जाने में मदद की है। इस बदलाव को संभव और व्यावहारिक बनाने से गांवों में शिक्षा के विकास को भी गति मिली है। भारत को ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, विद्युतीकृत रेलवे, पुनर्निर्मित हवाई अड्डों और एक ईवी इकोसिस्टम द्वारा संचालित एक उच्च गुणवत्ता वाले परिवहन नेटवर्क में एकीकृत किया जाएगा।
यह एक ऐसा उभरता हुआ ज्वार है जो देश के सभी वर्गों के जीवन-स्तर को ऊपर उठाएगा। अमेरिकी निवेश बैंक मॉर्गन स्टेनली की एक हालिया रिपोर्ट में यह बताया गया है कि आने वाले दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था के कई वृहद आर्थिक संकेतकों में लगातार बढ़ोतरी होने वाली है। भारत की मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता 2032 में 1500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। निर्यात बाजार में हिस्सेदारी 2031 तक दोगुनी से अधिक होकर 4.5 प्रतिशत हो जाएगी।
भारत की प्रति व्यक्ति आय वर्तमान में 2,200 अमेरिकी डॉलर से दोगुनी होकर 2032 तक लगभग 5,200 अमेरिकी डॉलर हो जाने की उम्मीद है। इस रिपोर्ट का यह निष्कर्ष है कि भारत वैश्विक विकास के एक प्रमुख चालक के रूप में उभरेगा और नया भारत इस दशक के अंत तक वैश्विक विकास के पांचवां हिस्से को संचालित करेगा।