ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पृथ्वी पर कई ऐसे रहस्य हैं, जिसको सुलझाने में वैज्ञानिकों को वर्षों लग जाते हैं तो कई अनसुलझे रह जाते है। हिंद महासागर में 1948 में मिला एक विशालकाय होल रहस्य का विषय बना हुआ था। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसका राज खोलने के लिए प्रयासरत थे लेकिन सफलता मिली भारतीय वैज्ञानिकों को। इस होल की खोज डच जियोफिजिसिस्ट फेलिक्स एंड्रीज वेनिंग मैनेज ने की थी।
अभी हाल में भारतीय वैज्ञानिकों ने इस बारे में अनेक तथ्य सामने रखे हैं। इस होल को “इंडियन ओशन ज्यॉइड लो” के नाम से जाना जाता था। यह 2 लाख स्क्वायर मील में फैला हुआ है और यह पृथ्वी के ऊपरी भाग से 600 मील यानी 960 किलोमीटर अंदर तक है। इस क्षेत्र में गुरुत्वाकर्षण काफी कम पाया जाता है। भारतीय भू वैज्ञानिक देबांजन पाल और अत्रेयी घोष ने इस रहस्यमयी होल की स्टडी की है।
उन्होंने बताया कि इतने लंबे समय से बने इस होल का राज भी इसके अंदर है। ये होल लगभग 29 मिलियन साल पहले निर्मित हुआ होगा, जब हिंद महासागर का निर्माण हो रहा था। उन्होंने बताया कि इसकी पूरी जानकारी के लिए पृथ्वी के प्लेट टेक्टोनिक्स की गति के बारे में जानना होगा। दरअसल, पृथ्वी का निर्माण प्लेटों से मिलकर बना हुआ है, जिसे प्लेट टेक्टोनिक्स कहा जाता है और इन प्लेटों में लगातार गति बनी रहती है, जिसे प्लेट टेक्टोनिक्स गति कहा जाता है।