ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारत को इलेक्टि्रक व्हीकल्स का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए अपनी नई ईवी पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इस नई पॉलिसी में कंपनियों को कम से कम 4150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा और अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है।
तीन साल के अंदर भारत में प्रोडक्शन शुरू करना होगा
पॉलिसी के अनुसार कंपनियों को तीन साल के अंदर भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग और ईवी का कॉमर्शियल प्रोडक्शन शुरू करना होगा। साथ ही 5 साल के अंदर डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन को 50 प्रतिशत तक पहुंचाना होगा, यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने में लोकल सोर्सिंग को बढ़ाना होगा। ऑटो कंपनियों को तीसरे साल में लोकल सोर्सिंग को 25 प्रतिशत और 5 साल में 50 प्रतिशत करना होगा।
नोटिफिकेशन जारी
इस संबंध में मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। नई पॉलिसी से लंबे समय से भारत में आने का रास्ता तलाश रही अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क की ईवी कंपनी टेस्ला के लिए भारत में एंट्री आसान हो गई है। सरकार ने नई ईवी पॉलिसी में कुछ नियम और शर्तें तय की हैं और कुछ शर्तों में रियायत भी दी है।
कंप्लीट बिल्ट यूनिट कार को भारत लाना आसान होगा
नई पॉलिसी के तहत अब कंप्लीट बिल्ट यूनिट(सीबीयू) कार को भारत में इंपोर्ट करना आसान हो जाएगा। सीबीयू पूरी तरह बनी बनाई कार होती है, इनमें कॉस्ट, इंश्योरेंस और फ्रेट (सीआईएफ) शामिल होता है।
इनमें 35,000 डॉलर (करीब 30 लाख रुपये) कीमत वाली कार को भारत में इंपोर्ट करने पर 15 फीसदी की कस्टम ड्यूटी देनी होगी, जो पहले 40,000 डॉलर (लगभग 32.5 लाख रुपये) से कम कीमत वाली कारों के लिए यह 70 प्रतिशत और इससे अधिक कीमत वाली कारों के लिए 100 फीसदी थी। यानी टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारों को लाकर बेचना आसान हो जाएगा।
इंपोर्टेड कारों को भारत में बेचने की शर्तें
ऑटो कंपनियों के लिए नई स्कीम सिर्फ 5 साल के लिए है। कंपनी एक साल में सिर्फ 800 यूनिट भारत लाकर बेच सकेंगी। 5 साल में कुल 40,000 यूनिट्स ही भारत में बेच सकती हैं। इंपोर्ट की गई कुल इलेक्टि्रक गाड़ियों पर जितनी भी ड्यूटी की रियायत मिली है, उसकी भी एक सीमा होगी। वो कंपनी का कुल निवेश या फिर 6484 करोड़ रुपए, जो भी कम हो, वो लागू होगा।
टेस्ला को भारत में लगाना होगा प्लांट
यानी अगर टेस्ला भारत में अपनी गाड़ियां बेचना चाहता है, तो उसकी इजाजत उसे होगी, लेकिन शर्त ये है कि उसे भारत में अपना प्लांट भी लगाना होगा और डीवीए की शर्तों का पालन भी करना होगा।