ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि अगर देश पिछले दो दशकों की वृद्धि रफ्तार को आगे भी जारी रखता है तो वह वित्त वर्ष 2027- 28 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था सकता है।
पनगढ़िया ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यवसाय शिखर सम्मेलन में कहा कि 2003-04 से शुरू हुए दो दशकों में भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया है। वर्तमान में अत्यधिक गरीब लोगों का अनुपात कुल जनसंख्या के तीन प्रतिशत से अधिक नहीं है।
– दो दशकों में भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में अल्प रोजगार की समस्या है क्योंकि कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र में लगा हुआ है और उन्हें तीव्र शहरीकरण के लिए कृषि से हटाकर उद्योग की तरफ ले जाने की जरूरत है। फिलहाल भारत का 45 प्रतिशत कार्यबल कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है जबकि इस क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान 15 प्रतिशत ही है। इसका मतलब है कि कृषि में औसत उत्पादकता अर्थव्यवस्था की औसत उत्पादकता का एक-तिहाई है।
पनगढिया ने कहा कि बीते दो दशकों में अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में भारत की वास्तविक जीडीपी करीब आठ प्रतिशत की दर से बढ़ी है। वहीं बाजार मूल्य के हिसाब से पिछले 20 वर्षों में जीडीपी वृद्धि दर 10.2 प्रतिशत रही है। उन्होंने कहा, ‘आज हमारे पास जो कुछ भी है, उसमें से बहुत कुछ पिछले दो दशकों में हुआ है। इस दौरान हम वैश्विक वित्तीय संकट और कोविड के झटके से भी निपटे। इस वृद्धि ने ही हमें डॉलर के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय जीडीपी रैंकिंग में पांचवें स्थान पर ला दिया है।’ पनगढ़िया ने कहा, ‘अगर हम आने वाले वर्षों में इसी दर से बढ़ते रहे तो हम 2026- 27 तक ही तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकते हैं लेकिन इसकी अधिक संभावना 2027-28 तक होने की है। भारत लगभग 3.7 लाख करोड़ डॉलर की जीडीपी के साथ अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है।